banner-imgcam

Nalanda University’s Press Releases

05 June 2024 : *नालंदा विश्वविद्यालय में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर शुरू हुई ‘ग्रीन गार्जियनशिप’ की पहल*

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए नालंदा विश्वविद्यालय ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्रीन गार्जियनशिप पहल की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य पूरे विश्वविद्यालय समुदाय को पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने में शामिल करना है, जिससे उनका प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध विकसित हो सके।

आज सुबह विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम की शुरुआत नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति (अंतरिम) प्रो. अभय कुमार सिंह के आवास पर कर्मचारियों और संकाय सदस्यों के एकत्र होने से हुई। प्रो. सिंह ने पौधे लगाकर ग्रीन गार्जियनशिप पहल की औपचारिक शुरुआत की। पौधारोपण के बाद मिनी ऑडिटोरियम में एक समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा की गई कि मानसून के मौसम की शुरुआत के साथ ग्रीन गार्जियनशिप पहल को सभी संकाय और कर्मचारियों व उनके परिवारों के लिए विस्तारित किया जाएगा।

सभा को संबोधित करते हुए प्रो. अभय कुमार सिंह ने इस पहल के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि ग्रीन गार्जियनशिप का उद्देश्य है कि समस्त विश्वविद्यालय समुदाय परिसर में अपने लगाए गए पेड़ के साथ एक भावनात्मक संबंध विकसित करे। प्रकृति के साथ इस व्यक्तिगत जुड़ाव का उद्देश्य विश्वविद्यालय समुदाय के बीच पर्यावरण के प्रति एक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने के लिए है।

प्रो. जयशंकर नायर, डीन, स्कूल ऑफ एनवायरनमेंटल एंड इकोलॉजिकल स्टडीज (SEES) और संकाय के छात्र ग्रीन गार्जियनशिप पहल को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

विश्वविद्यालय ने आगामी मानसून के दौरान परिसर में दो हरित पार्क विकसित करने की योजना की भी बनाई है। इसके अलावा इस पहल में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और शैक्षिक मूल्यों को बढ़ाने के लिए पेड़ों की लेबलिंग और डिजिटल मार्किंग करना भी शामिल है।

ग्रीन गार्जियनशिप की पहल नालंदा विश्वविद्यालय की पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अपने नेट-जीरो कैंपस के साथ विश्वविद्यालय लंबे समय से यहाँ के शैक्षणिक कार्यक्रमों में पर्यावरण संबंधी कार्यकलापों को प्रधानता देने में अग्रणी रहा है। इस पहल से यहाँ अध्ययनरत विभिन्न देश के छात्र, भारत की विशिष्ट प्राकृतिक विविधता से रू-ब-रू होंगे। विश्वविद्यालय के ध्येय के अनुरूप ग्रीन गार्जियनशिप का प्रयास प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व बनाने का है जो नालंदा की प्राचीन ज्ञान-परंपरा को भी प्रतिबिंबित करता है।

17 April 2024 : नालंदा विश्वविद्यालय में ओडिशा की गोटीपुआ कला का भव्य प्रदर्शन

नालंदा विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में आज एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यहाँ आज भुवनेश्वर से आए कलाकारों ने ओडिशा के प्रसिद्ध लोक नृत्य गोटीपुआ का भव्य प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का आयोजन नालंदा विश्वविद्यालय के स्पिक मैके हेरिटेज क्लब के छात्रों द्वारा किया गया था।

गोटीपुआ, ओडिशा की एक पारंपरिक लोक कला है, जिसमें युवा लड़के महिला पात्रों की वेशभूषा में प्रदर्शन करते हैं। अपने पारंपरिक शैली में बाल नर्तकों ने जटिल आंगिक गतियों से  उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस नृत्य शैली का उपयोग पौराणिक कथाओं और भगवान जगन्नाथ को समर्पित गीतों को प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।

कार्यक्रम के दौरान, नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति, प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने कहा, “विश्वविद्यालय में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से न केवल हमारे छात्र भारतीय संस्कृति की गहराई से परिचित होते हैं बल्कि उनकी वैश्विक सांस्कृतिक समझ भी विकसित होती है। साथ ही उन्होंने युवाओं को भारत की सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू कराने के लिए स्पिक मैके के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

कार्यक्रम के समापन पर छात्रों ने भारत की वैविध्यपूर्ण लोक संस्कृति से परिचित होने का मौका देने के लिए विश्वविद्यालय और कुलपति के प्रति आभार व्यक्त किया। इस तरह के आयोजन नालंदा में अध्ययनरत विभिन्न देश के विद्यार्थियों में भारत की विविधतापूर्ण संस्कृतियों के प्रति आदर और सम्मान की भावना को विकसित करने मे सहायक होते हैं।

16 March 2024 : बिहार के राज्यपाल ने द्वारा आज नालंदा विश्वविद्यालय में बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का उद्घाटन

“ज्ञानोदय की इस भूमि ने हमेशा गैर-आक्रामकता और करुणा का संदेश दिया है” – श्री राजेंद्र आर्लेकर

“नालंदा की भूमि से निकला ज्ञानोदय- संदेश अनाक्रामकता का रहा है। आज फिर हमें एकीकृत विचार प्रक्रिया की आवश्यकता है। यह वह भूमि है जहां शस्त्रों  की तुलना में शास्त्रों को प्राथमिकता दी गई और जहां से भारत ने करुणा और अहिंसा में सन्निहित संदेश दुनिया को भेजा है। दुनिया के लिए हमारी करुणा और अहिंसा की अभिव्यक्ति सदैव प्रेरणा स्त्रोत रही है। मेरा मानना है कि बोधगया डाइलॉग के विचार-विमर्श भविष्य में हमारे समाज के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेंगे।”

आज सुषमा स्वराज सभागार में बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए बिहार के माननीय राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर ने ये बातें कहीं।

उद्घाटन सत्र के मुख्य सम्बोधन में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति (अं) प्रो.अभय कुमार सिंह ने कहा कि हमारी एकीकृत राष्ट्रीयता ही हमारी दृष्टि को व्यापक बनाने के लिए प्रेरित करती है और वसुधैव-कुटुंबकम की अवधारणा को साकार कर सक्ने में समर्थ करती है. मगध क्षेत्र का यह एकीकृत परिदृश्य भी इसी समावेशी दृष्टिकोण को दर्शाता है।  बोधगया, राजगीर और नालंदा ज्ञान और प्रज्ञा की भूमि रही है। मगध के वैभवशाली प्रदेश में स्थित नालंदा विश्वविद्यालय जो कभी प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रतिनिधि था, आज एक बार फिर अनेक देशों से आए अध्ययनरत छात्रों के साथ एक बार फिर अपने नए अवतरण में उभर रहा है।

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 का छठा संस्करण नालंदा विश्वविद्यालय और देशकाल सोसाइटी के बीच एक सहयोगात्मक शैक्षणिक कार्यक्रम है, जो 16 और 17 मार्च 2024 को एनयू परिसर में हो रहा है। दो दिनों तक चलने वाला यह कार्यक्रम बोधगया, राजगीर तथा नालंदा के ऐतिहासिक विरासत व ज्ञान परंपरा में इन क्षेत्रों के योगदान के परिदृश्य पर केंद्रित है।

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में सम्माननीय अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक श्री अरविंद मोहन, अध्यक्ष, देशकाल सोसायटी; लेफ्टिनेंट जनरल पी.एस. मिन्हास, कमानडेंट ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, गया; प्रोफेसर विनीता सहाय, निदेशक, भारतीय प्रबंधन संस्थान, बोधगया;  डॉ. डी. एम. मुले, सदस्य, एनएचआरसी, डॉ गौतमी भट्टाचार्या , एएसआई, पटना उपस्थित थे।

15 March 2024 : नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होगा बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स 2024 के छठे संस्करण का आयोजन 16 और 17 मार्च 2024 को नालंदा विश्वविद्यालय, राजगीर में होने वाला है। देशकाल सोसाइटी के सहयोग से आयोजित होने वाला यह शैक्षणिक कार्यक्रम इस वर्ष बोधगया, राजगीर तथा नालंदा के ऐतिहासिक विरासत व ज्ञान परंपरा में इन क्षेत्रों के योगदान के परिदृश्य पर केंद्रित होगा।

दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के माननीय राज्यपाल श्री राजेंद्र आर्लेकर द्वारा किया जाएगा। बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स में आयोजित संवादों का उद्देश्य वरिष्ठ शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और नीति निर्माताओं के बीच विचार-विमर्श के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा को व्यापक और समृद्ध करना है।

आज बोधगया में हुए प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने कहा कि बिहार की भूमि सदा से संवाद, शांति और धैर्य की भूमि रही है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्वतापूर्ण व्याख्यानों व संवाद के माध्यम से प्राचीन काल के मगध के क्षेत्रों व दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच ऐतिहासिक और अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान को रेखांकित किया जाएगा। कार्यक्रम में पुरातत्व, इतिहास और कला के कई विषयों को एक साथ लाने का प्रयास होगा।

देशकाल सोसाइटी के सचिव श्री संजय कुमार ने कहा कि बौद्ध धर्म की दर्शन और शिक्षाएँ, मगध क्षेत्र की परिकल्पना इत्यादि विषयों पर पैनल चर्चा, पुस्तक लॉन्च, फिल्म शो, सांस्कृतिक संध्या और प्रदर्शनी जैसे समानांतर कार्यक्रम भी इस आयोजन के अंतर्गत संचालित होंगे।

कार्यक्रम में बौद्ध दर्शन की शिक्षाओं के व्यापक अंतरसंबंधों पर हुए अद्यतन अनुसंधान पर शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं द्वारा विचार-विमर्श के माध्यम से बिहार की स्थानीयता, विरासत और इसके पुनर्निर्माण व संरक्षण के पहलुओं पर प्रकाश डाला जाएगा।

बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स के पिछले संस्करणों ने भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतिभागियों के साथ-साथ दुनिया भर के प्रतिनिधियों को आकर्षित किया है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान की परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष भी बोधगया ग्लोबल डायलॉग्स में राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शिक्षाविदों, छात्रों, नीति निर्माताओं, और कलाकारों की प्रतिभागिता आपेक्षित है।

नालंदा विश्वविद्यालय: 2010 में पुनर्जीवित इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य अकादमिक उत्कृष्टता और उच्च शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। लगभग एक सहस्राब्दी के बाद नालंदा के विशाल परिसर में तीस से अधिक देशों के छात्रों अध्ययनरत हैं। सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। यह विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा पर निकलने के लिए तैयार हो रहा है।

15 February 2024 : नालन्दा विश्वविद्यालय में आसियान के महासचिव का सम्बोधन

ऐतिहासिक महत्त्व का निर्णय है नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार – डॉ. काओ किम होर्न

भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की 10वें वर्ष मे प्रवेश के अवसर पर आसियान के महासचिव डॉ. काओ किम होर्न ने आज विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में “आसियान का भविष्य” विषय पर नालंदा समुदाय को संबोधित किया। डॉ. होर्न विश्वविद्यालय के दो दिवसीय दौरे पर थे। उन्होंने आसियान सदस्य देशों के छात्रों के साथ भी बातचीत की जो आसियान-भारत सहयोग परियोजनाओं के तहत इस विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इस यात्रा में आसियान में भारत के राजदूत श्री जयंत एन खोबरागड़े भी उनके साथ रहे।

ऐतिहासिक महत्त्व की संस्था के रूप में नालंदा के पुनर्निर्माण पर विचार करते हुए, डॉ. होर्न ने कहा, ” मुझे लगता है कि नालंदा विश्वविद्यालय का पुनरुद्धार पूर्वी एशियाई शिखर सम्मेलन के नेताओं द्वारा किए गए ऐतिहासिक निर्णयों में से एक है।” आसियान और भारतीय संबंधों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “मैंने नालंदा के खंडहरों का भ्रमण किया और भगवान बुद्ध से भारत और आसियान के बीच संबंधों, को मजबूत करने के हमारे प्रयासों के सफलता की प्रार्थना की।”

अपने संबोधन में डॉ. होर्न ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार की दिशा में भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय, जो आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज (एआईएनयू) का नेतृत्व कर रहा है, की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकास डाला। उन्होंने विश्वविद्यालय की पर्यावरण संबंधित प्रतिबद्धता और यहाँ के सुविधाओं को उत्कृष्ट बताया। एनयू के छात्रों से उन्होंने कहा कि आप सभी भाग्यशाली हैं कि आप नालंदा की गौरवशाली परंपरा से जुड़े हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति (अंतरिम) प्रो. अभय कुमार सिंह ने अपने स्वागत भाषण में, नालंदा विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा की इस संस्थान का एशियाई देशों के बीच संबंधों को सुदृढ़ करने मे अभूतपूर्व योगदान रहा है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नालंदा अपने ने अवतार में सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित एशियाई देशों को जोड़ने में एक सेतु की भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

अपनी यात्रा के हिस्से के रूप में, डॉ. काओ किम होर्न ने कल (14 फरवरी) को सेंट्रल डाइनिंग हॉल में आयोजित एक छात्र-संवाद कार्यक्रम में भाग लिया, जिसमें उनकी छात्रों और संकाय सदस्यों के साथ बातचीत हुई। उन्होंने परिसर का भी दौरा किया, जहां उन्हें नालंदा के नेट-जीरो परिसर बनाने के प्रयासों के बारे में बताया गया।

नालंदा विश्वविद्यालय: 2010 में पुनर्जीवित इस विश्वविद्यालय का उद्देश्य अकादमिक उत्कृष्टता और उच्च शिक्षा में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है। लगभग एक सहस्राब्दी के बाद नालंदा के विशाल परिसर में तीस से अधिक देशों के छात्रों अध्ययनरत हैं। सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। यह विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा पर निकलने के लिए तैयार है।

आसियान: दक्षिण पूर्व एशियाई देशों का संगठन (आसियान) एक क्षेत्रीय अंतरसरकारी संगठन है जिसमें दस दक्षिण पूर्व एशियाई देश शामिल हैं। आसियान का लक्ष्य अपने सदस्य देशों के बीच सहयोग और संवाद के माध्यम से क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देना है।

09 February 2024 : नालंदा विश्वविद्यालय में विरासत, वास्तुकला के संरक्षण एवं पुनर्स्थापन के विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

नालंदा विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ हिस्टॉरिकल स्टडीस एवं आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर (AKTC) के सहयोग से आज (दिनांक 9 फरवरी, 2024) को विरासत, वास्तुकला और संस्कृति के पुनर्स्थापन विषय से संबंधित एक संगोष्ठी का आयोजन हुआ।

इस संगोष्ठी में आगा खान ट्रस्ट, इंडिया (AKTC) के सीईओ रतीश नंदा, ASI, पटना की अधीक्षक पुरातत्वविद् डॉ. गौतमी भट्टाचार्य और INTACH, हैदराबाद के सह-संयोजक सज्जाद शाहिद जैसे विद्वान वक्ता समिलित हुए।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने कहा की ऐतिहासिक स्मारकों के बारे में हमारी जागरूकता इन समारकों के संरक्षण के हमारे प्रयासों में एक बड़ी भूमिका निभाती है। आगा खान ट्रस्ट के सहयोग से आयोजित यह संगोष्ठी नालंदा के शैक्षणिक समुदाय को एक विशिष्ट अंतर्दृष्टि विकसित करने में सहायक होगी।

इस संगोष्ठी में सांस्कृतिक व वास्तुकला से संबंधित धरोहरों के संरक्षण से जुड़े पहलुओं पर प्रकाश डालने व्याख्यान हुए। व्याख्यानों के पश्चात वास्तुशिल्प संरक्षण पर केंद्रित एक फिल्म की स्क्रीनिंग की की गई।

यह संगोष्ठी भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों को उजागर करने के साथ ही नालंदा के छात्रों विद्वत समुदाय के ज्ञानवर्धन के लिए महत्त्वपूर्ण रही।

06 February 2024 : नालंदा विश्वविद्यालय ने आयोजित हुआ पं.राजेंद्र प्रसन्ना का शास्त्रीय बांसुरी वादन

नालंदा विश्वविद्यालय में आज प्रसिद्ध संगीतज्ञ और ग्रैमी पत्र से सम्मानित पं. राजेंद्र प्रसन्ना का मंत्रमुग्ध कर देने वाला शास्त्रीय बाँसुरी वादन आयोजित हुआ। सुषमा स्वराज सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में पं. प्रसन्ना के लयबद्ध वादन के साथ तबले पर पंडित ललित कुमार ने संगत की। नालंदा में अध्ययनरत विभिन्न देशों के छात्र इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

विश्वविद्यालय के स्पिक मेके हेरिटेज क्लब द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के संबंध में बताते हुए माननीय कुलपति (अंतरिम) प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने शास्त्रीय संगीत के सकारात्मक प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा की नालंदा विश्वविद्यालय अपने छात्रों के सांस्कृतिक और कलात्मक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित है। ऐसे शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम छात्रों की रचनात्मक प्रवृति को प्रेरित करते हैं। भारत की समृद्ध विरासत को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने स्पिक मेके की सराहना की।

आईआईटी दिल्ली में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर किरण सेठ द्वारा 1977 में स्थापित स्पिक मैके ने युवाओं के बीच देश की सांस्कृतिक विरासत और मूल्यों के बारे में जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नालंदा विश्वविद्यालय की ऐसी पहल यहाँ के अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू कराती है एवं एक अंतर-सांस्कृतिक भावना को विकसित करती है।

31 January 2024 : नालंदा विश्वविद्यालय के 30 देशों के छात्र पुरुलिया छऊ लोक नृत्य से हुए रोमांचित

आज नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित पुरुलिया छऊ नृत्य की जीवंत प्रस्तुति से यहाँ अध्ययनरत 30 देशों के छात्र भारत की समृद्ध सांस्कृति एवं लोक कला से रू-ब-रू हुए। इस मनमोहक लोक नृत्य का आयोजन विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में हुआ। यह प्रभावशाली कार्यक्रम नालंदा विश्वविद्यालय के स्पिक मैके हेरिटेज क्लब के छात्रों द्वारा आयोजित किया गया था।

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया से आए लोक कलाकारों ने इस पारंपरिक लोक-नृत्य के माध्यम से मार्शल आर्ट, नाटकीय तत्वों और अभिव्यंजक शैली की प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में शामिल कलाकारों ने दुर्गा सप्तसती के महिषासुर वध के प्रसंगों को मंच पर जीवंत कर दिया और दर्शकों को प्राचीन कथा-वाचन व नृत्य प्रदर्शन से परिचित कराया। यह नृत्य मुखौटों के साथ ढोल, धमसा, बांसुरी और शहनाई जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों की लयबद्ध धुनों द्वारा प्रस्तुत किया गया था।

कार्यक्रम के महत्त्व को रेखांकित करते हुए नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति (अंतरिम) प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने इस विशिष्ट कला को संरक्षित करने के लिए कलाकारों और इन पारंपरिक कला रूपों को बढ़ावा देने के लिए ऐसे आयोजनों को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने छात्रों को भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य का अनुभव करने और उसे और अधिक समृद्ध बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही उन्होंने युवाओं को भारत की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने के हेतु मंच प्रदान करने के लिए स्पिक मैके के प्रति आभार भी व्यक्त किया।

स्पिक मैके संस्था शैक्षणिक संस्थानों में भारतीय शास्त्रीय संगीत, नृत्य और संस्कृति की गहरी समझ को विकसित करने के लिए समर्पित है। इन आयोजनों के माध्यम से यह स्वयंसेवी आंदोलन शास्त्रीय व लोक कलाओं से वर्तमान युवावर्ग को जोड़ता है।

कार्यक्रम के अंत में छात्रों ने भारत की गौरवशाली लोक सांस्कृति और विरासत की झलक देखने का अवसर प्रदान करने के लिए विश्वविद्यालय और कुलपति के प्रति आभार व्यक्त किया। नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित ऐसे कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देते हैं और यहाँ की विद्यार्थियों में अन्य संस्कृतियों के प्रति सम्मान की भावना को विकसित करने मे सहायक होते हैं।

26 January 2024 : नालंदा विश्वविद्यालय में हर्षोल्लास से मनाया गया 75वां गणतंत्र दिवस समारोह

“बिहार की पवित्र धरती लोकतंत्र के मूल अवधारणा की जन्मदात्री है और यहाँ की ऐतिहासिक धरती पर नालंदा एक बार फिर भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनर्जागरण को आकार दे रहा है” – प्रोफेसर अभय कुमार सिंह

 

नालंदा विश्वविद्यालय ने आज भारत का 75वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास से मनाया। इस अवसर कुलपति (अंतरिम) प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने झंडोत्तोलन के साथ अपने सम्बोधन में नालंदा समुदाय और यहाँ के आवासीय परिसर में अध्ययनरत  तीस से अधिक देशों के छात्रों को संबोधित किया।

प्रो. सिंह ने कहा, “यह उत्सव भारत के लोकतंत्र की मजबूत नींव का उत्सव है। बिहार की पवित्र धरती लोकतंत्र के मूल अवधारणा की जन्मदात्री है और यहाँ की ऐतिहासिक धरती पर नालंदा एक बार फिर भारतीय ज्ञान परंपरा के पुनर्जागरण को आकार दे रहा है”। प्रो. सिंह ने भारत की सांस्कृतिक को विविधता में एकता का दुर्लभ मॉडल बताया। प्रो. सिंह ने कहा कि नालंदा की नींव सुदृढ़ होने से शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का मार्ग प्रशस्त होगा

विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह में विभिन्न देशों के छात्रों द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए।

शताब्दियों से नालंदा ने ज्ञान के प्रकाश स्तम्भ के रूप में पूरे एशिया के विद्वानों को आकर्षित किया है और प्राचीन ज्ञान परंपराओं में निहित बौद्धिक उत्कृष्टता और अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक समंजस्यता हेतु प्रतिबद्ध वर्तमान नालंदा भी ज्ञान और संस्कृतियों के संगम के संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित हो रहा है। लगभग एक सहस्राब्दी की प्रतीक्षा के बाद, एक बार फिर 30 से अधिक देशों से आए विविध पृष्ठभूमि के छात्र अब नालंदा के परिसर में अध्ययनरत हैं।

24th November 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर पद्मश्री गीता चंद्रन द्वारा भरतनाट्यम की प्रस्तुति

नालंदा विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर विश्वविद्यालय के स्पिक मैके चैप्टर द्वारा पर पद्मश्री एवं संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित विख्यात नृत्यांगना श्रीमती गीता चंद्रन एवं उनके सहयोगी कलाकारों द्वारा भरतनाट्यम नृत्य का आयोजन हुआ।

यह कार्यक्रम आज शाम 6 बजे नालंदा विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में सम्पन्न हुआ। अपने कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने पुष्पांजलि से की जिसमें उन्होंने नृत्य कि भावात्मक लय को प्रस्तुत किया। उसके बाद वर्णम के सहारे नालंदा के विद्यार्थियों को शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों से परिचित कराया। कार्यक्रम का समापन वंदे मातरम की भावपूर्ण प्रस्तुति से हुआ।

इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने कहा, “प्राचीन भारतीय का गौरवशाली केंद्र नालंदा, जो केवल हमारी स्मृति में मौजूद था, आज अपनी भव्यता के साथ भव्य रूप से प्रकट हो रहा है और हमारा सौभाग्य है कि इस ऐतिहासिक घटना में गौरवान्वित भागीदार हैं। “कार्यक्रम के महत्त्व को रेखांकित करते हुए प्रो। सिंह ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कलात्मक रचनात्मकता जैसे सभी पहलुओं में अपने छात्रों के समग्र विकास की दिशा में प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। ऐसे कार्यक्रम छात्रों के बीच कलात्मक क्षमता को विकसित करने और उन्हे परिष्कृत करने के लिए एक अवसर प्रदान करते हैं। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को भारतीय संस्कृति और विरासत से जुडने में भी सहायक होगा।

यह कार्यक्रम नालंदा विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस के अवसर पर स्पिक मैके चैप्टर के तहत आयोजित किया गया था। विश्वविद्यालय के स्पिक मेके चैप्टर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 32 देशों के छात्र सहभागी हुए।

स्पिक मेके (सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग यूथ) की स्थापना 1977 में आईआईटी दिल्ली के पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर किरण सेठ के द्वारा भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और युवाओं को प्रेरणा देकर शैक्षिक गुणवत्ता को समृद्ध करने के उद्देश्य से की गई थी।

नालंदा विश्वविद्यालय का एक प्रमुख उद्देश्य युवा पीढ़ी को समेकित दिशा देना और उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता की ओर प्रेरित करना है। शास्त्रीय संगीत का यह कार्यक्रम छात्रों को भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में सन्निहित अमूर्त, सूक्ष्म और प्रेरणास्पद पहलुओं का अनुभव करने के लिए प्रेरित करेगा। राष्ट्रीय महत्व के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस की पूर्व संध्या के अवसर पर यह आयोजन विभिन्न देश के छात्र छात्राओं को भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू होने का अवसर प्रदान करेगा।

Students from around 32 countries studying at the University witnessed the event. The erudite lecture demonstration along with her gracious movements of Smt Geeta Chandran highlighting the subtle aspects of performing arts and the dance recital was well received by the audience. The event provided an experience of the inspiring elements of classical art forms of India.

15th November 2023 : नालन्दा विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार

नालंदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज एंड लिटरेचर/ह्यूमैनिटीज द्वारा आगामी 17 और 18 नवंबर 2023 को “विश्व साहित्य की संकल्पना में भारतीय और दक्षिण पूर्व एशियाई परिप्रेक्ष्य” विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन होने जा रहा है। इसमें भारत व अन्य देशों के विद्वानों द्वारा लगभग तीस शोध-पत्र प्रस्तुत किए जाने हैं। पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर कपिल कपूर जैसे प्रतिष्ठित विद्वान के साथ कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध शिक्षाविद जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. रविंदर सिंह, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रो. रजनीश कुमार मिश्रा और आईआईटी पटना से डॉ. प्रियंका त्रिपाठी इस कार्यक्रम का हिस्सा होंगे।

इस कार्यक्रम का हिस्सा होंगे। इस सेमिनार में नालन्दा विश्वविद्यालय के प्राध्यापक व शोधार्थी भी अपना अद्यतन शोध प्रस्तुत करेंगे।

04 November 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ विश्व शांति पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

वैश्विक शांति कि स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है नालंदा – प्रो. अभय कुमार सिंह

नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्ध धर्म और विश्व शांति पर सामुदायिक सहभागिता पर एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह सम्मेलन 3 और 4 नवंबर को विश्वविद्यालय के मिनी ऑडिटोरियम में संचालित हुआ। सम्मेलन का आयोजन सोसाइटी फॉर एम्पावरमेंट, पटना के द्वारा किया गया था। उद्घाटन समारोह के दौरान दीप प्रज्ज्वलन के बाद सोसाइटी फॉर एम्पावरमेंट, पटना के अध्यक्ष प्रोफेसर सचिन्द्र नारायण ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया और सम्मेलन के उद्देश्य पर परकास डाला। प्रो नारायण के संबोधन के बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति (अंतरिम) प्रो. अभय कुमार सिंह ने सभा को संबोधित किया।

कुलपति ने कहा, “पिछले दो सहस्राब्दियों से बौद्ध धर्म ने सार्वभौमिक एकता की भावना और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का संदेश को सारे प्रसारित किया है जो वैश्विक शांति के लिए आधार-स्तम्भ है।” उन्होंने कहा कि “नालंदा में हम एशिया और विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने और पारस्परिक संबंध को सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

नव-नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. आर.एन. प्रसाद इस सम्मेलन के सम्मानित अतिथि थे। प्रोफेसर पंचानन मोहंती, नालंदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज एंड लिटरेचर के डीन ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। सुलभ इंटरनेशनल की उपाध्यक्ष डॉ. आभा कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से विद्वान शामिल हुए जिन्होंने समकालीन समय में विश्व शांति के लिए बौद्ध विचारों की प्रासंगिकता को सामने रखा।

गौरतलब है कि नालंदा विश्वविद्यालय ने कान्फ्लिक्ट रिसॉल्यूशन एण्ड पीस स्टडी के लिए एक अनुसंधान केंद्र की स्थापना हुई है। विश्वविद्यालय खोई हुई ज्ञान परंपराओं को पुनः प्राप्त कर रहा है और उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में उभर रहा है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से छात्रों को आकर्षित कर रहा है।

29 September 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों और संकाय सदस्यों का उपराष्ट्रपति के साथ संवाद

“नालंदा में अपने वास्तविकता में उपस्थित है वैसुधैव कुटुंबकम का विचार”

– – श्री जगदीप धनखड़, भारत के उपराष्ट्रपति

“ज्ञान-अर्जन और शिक्षा के क्षेत्र में नालंदा की ज्ञान परंपरा अतुलनीय है। यह विश्वविद्यालय अपने इतिहास और विरासत के कारण दुनिया में अलग पहचान रखता है।” यह बात आज भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने सुषमा स्वराज सभागार में नालंदा समुदाय को संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि वैसुधैव कुटुंबकम, एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का विचार यहां जमीनी हकीकत है। अपनी अंतर्दृष्टि साझा करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्राचीन नालंदा के अंतरराष्ट्रीय संबंधों और सदियों पुराने सभ्यतागत मूल्यों पर अपने विचार व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि आज के नालंदा के छात्रों पर एक बार फिर विश्वविद्यालय को उस स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी है।

कार्यक्रम में उन्होंने उद्घोषणा करते हुए यह भी कहा कि प्रतिष्ठित संस्था, इंडियन काउन्सिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स, शीघ्र हि नालंदा विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगी। माननीय उपराष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय के 50 छात्रों के समूह को अतिथि के रूप में नवनिर्मित संसद भवन, भारत-मंडपम, प्रधान मंत्री संग्रहालय, युद्ध-स्मारक और यशोभूमि का भ्रमण करने के लिए भी आमंत्रित किया। नालंदा में पढ़ने वाले विभिन्न राष्ट्रीयताओं के छात्र-छात्राओं ने माननीय उपराष्ट्रपति के साथ बातचीत की जिसमें उन्होंने शिक्षा, पारिस्थितिकी और सॉफ्ट-पावर जैसे क्षेत्रों से संबंधित प्रश्नों पर अपने विचार रखे ।

स्वागत भाषण में अंतरिम कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने कहा कि बिहार की भूमि प्रजातन्त्र और ज्ञान का उद्गम स्थल रही है। मगध के इस प्राचीन क्षेत्र ने प्रज्ञा, शांति और नैतिकता की रोशनी से समग्र विश्व को प्रकाशित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय अपने नए रूप में भारत के सभ्यतागत अतीत से अनुप्राणित होकर विभिन्न देशों के साथ भारत के सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंधों को पुनर्स्थापित करने में प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय समुदाय इस संस्थान को उसके पूर्ववर्ती गौरव के शिखर पर पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत के उपराष्ट्रपति ने नालंदा विश्वविद्यालय के नेट-ज़ीरो हरित परिसर में पौधरोपण भी किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति के साथ उनकी पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, श्री श्रवण कुमार, माननीय ग्रामीण विकास एवं संसदीय कार्य मंत्री, बिहार सरकार, श्री कौशलेंद्र कुमार, नालंदा सांसद, राजगीर नगर परिषद की मुख्य पार्षद श्रीमती जीरो देवी व नालंदा विश्वविद्यालय के संकाय सदस्य, कर्मचारी और छात्र इस अवसर पर उपस्थित रहे ।

26th Aug 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित पंडित तरुण भट्टाचार्य के भावपूर्ण संतूर वादन से मंत्रमुग्ध हुए छात्र

नालंदा विश्वविद्यालयन के स्पिक मैके चैप्टर द्वारा आज संतूर वादक पंडित तरुण भट्टाचार्य के कार्यक्रम का आयोजन हुआ। बनारस घराने के प्रसिद्ध तबला वादक पंडित रामकुमार मिश्र उनके साथ संगत पर थे। शास्त्रीय संगीत का यह कार्यक्रम आज विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में आयोजित किया गया था।

पं. तरूण भट्टाचार्य ने सायंकालीन राग बागेश्री पर आलाप के साथ अपने भावपूर्ण वादन की शुरुआत की और उसके बाद संतूर पर वाद्य संगीत के तंत्रकारी अंग को भी प्रस्तुत किया।

विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति, डीन, तथा प्राध्यापकों समेत यहाँ पढ़ने वाले 32 से अधिक देशों के छात्रों ने इस कार्यक्रम के दौरान उपस्थित रहे।  आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत आयोजित यह कार्यक्रम नालंदा विश्वविद्यालय के स्पिक मैके चैप्टर द्वारा संचालित किया गया था।

कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए विश्वविद्यालय के डेप्यूटी डीन डॉ किशोर धवला ने कहा, “भारत में भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा आज भी जीवंत है।  इस तरह के आयोजन हमारे छात्रों के सर्वांगीण विकास में योगदान देते हैं और उन्हें संवेदनशील और बेहतर इंसान बनाते हैं।  हम अपने छात्रों को भारत के शास्त्रीय कला-रूपों में पारखी होने का अवसर प्रदान करने के लिए स्पिक मैके के आभारी हैं।“

स्पिक मेके (सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग यूथ) की स्थापना 1977 में आईआईटी  दिल्ली के पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर किरण सेठ के द्वारा भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और युवाओं को प्रेरणा देकर शैक्षिक गुणवत्ता को समृद्ध करने के उद्देश्य से की गई थी।

नालंदा विश्वविद्यालय का एक दायित्व युवा पीढ़ी को समेकित दिशा देना और उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता की ओर प्रेरित करना है। शास्त्रीय संगीत का यह कार्यक्रम छात्रों को भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में सन्निहित अमूर्त, सूक्ष्म और प्रेरणास्पद पहलुओं का अनुभव करने के लिए प्रेरित करेगा।

15 August 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया भारत का 77वां स्वाधीनता दिवस समारोह

“भारत के वैश्विक अन्तर्सम्बन्धों की गहन खोज के लिए आमंत्रित करती है नालंदा की शिक्षा” – प्रोफेसर अभय कुमार सिंह

नालंदा विश्वविद्यालय में भारत की आजादी का 77वां स्वाधीनता दिवस समारोह धूमधाम के साथ मनाया गया. एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय होने के नाते यहाँ विभिन्न देशों के प्राध्यापक और छात्रों भी इस कार्यक्रम में सामिल हुए। भारतीय छात्रों के साथ विदेशी छात्र छात्राओं ने भी स्वतंत्रता दिवस का जश्न मनाते हुए विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लिया।

अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने विश्वविद्यालय समुदाय को संबोधित किया और स्वाधीनता के महत्व को व्याख्यायित करते हुए कहा कि हमारी आजादी को हासिल करने और इसे सुरक्षित रखने में असंख्य लोगों के बलिदान रहा है तब जाकर आज एक मजबूत भारत का निर्माण हो रहा है।  उन्होंने कहा की आज के सुदृढ़ भारत के नेतृत्व में सदस्य देशों के सहयोग से नालंदा के पुनर्स्थापित होने की संकल्पना साकार हुई है।  प्रोफेसर सिंह ने रेखांकित किया कि क्षेत्रीय समझ को बेहतर बनाने, एक-दूसरे की विरासत और इतिहास की समझने व समस्त मानव जाति को एकजुट करने वाली आध्यात्मिकता के निर्माण का दायित्व में नालंदा विश्वविद्यालय सफलता के साथ अग्रसर हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय पारस्परिक सहयोग के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय ने विभिन्न पहल किए हैं, जिसमें आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज (एआईएनयू), कॉमन आर्काइवल रिसोर्स सेंटर (सीएआरसी) शामिल है साथ ही यहां स्थापित बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र के द्वारा बिम्सटेक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित हो रही है।

प्रोफेसर सिंह ने नालंदा समुदाय को अपने संदेश में कहा कि “नालंदा में शिक्षा भारत के वैश्विक, खासकर एशियाई देशों के बीच गहरे अन्तर्सम्बन्ध की खोज के लिए आमंत्रित करती है।”  उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि “नालंदा भविष्य का विश्वविद्यालय है..  हम अपनी समग्र क्षमता को साकार करने और शैक्षणिक पूर्णता प्राप्त करने के लिए उत्कृष्टता की दिशा में एक मिशन पर हैं।” इस संबंध में प्रो. सिंह ने कुछ पहलुओं का जिक्र भी किया जिन्हें विश्वविद्यालय ने क्रियान्वित करने की योजना बनाई है।

भारत के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित संस्कृतिक समारोह में छात्रों ने सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करने वाले कई कार्यक्रम प्रस्तुत किए।  विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारि तथा भारतीय व विदेशी छात्र समुदाय इस आयोजन में सक्रियता के साथ उपस्थित रहे।

11th August 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में नए शैक्षणिक सत्र के शुभारंभ के अवसर पर सांस्कृतिक संध्या आयोजित

“नालंदा जैसे विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सद्भाव को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं” – ताविशी बहल पांडे, आईसीसीआर, पटना

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, पटना के सहयोग से नालंदा विश्वविद्यालय में कल (दिनांक 11 अगस्त 2023) सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के अवसर पर आयोजित इस समारोह की मुख्य अतिथि आईसीसीआर पटना की क्षेत्रीय निदेशक श्रीमती ताविशी बहल पांडे थीं। समारोह के अंतर्गत आईसीसीआर सम्बध्द कलाकारों द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययनरत तीस से अधिक देशों के छात्रों के समक्ष भारत की शास्त्रीय व लोक नृत्य प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्रीमती ताविशी बहल पांडे ने भारत के अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक संबंध को सुदृढ़ करने में आईसीसीआर की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास हमें समग्र विकास की ओर प्रेरित करता है। यह एक केवल एक शिक्षण संस्थान नहीं अपितु ज्ञान-अर्जन का विशिष्ट केंद्र है। विश्वविद्यालय में छात्रों की समग्र प्रगति के लिए अनूठा अवसर उपलब्ध हैं। यहाँ पढ़ने वाले छात्र विभिन्न देशों संस्कृति और भाषा से परिचित होते हैं। इस तरह नालंदा जैसे विश्वविद्यालय अंतरराष्ट्रीय सद्भाव व सहयोग को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नए प्रवेशित छात्रों को संबोधित करते हुए अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय अपने छात्रों को अद्वितीय शैक्षणिक और सांस्कृतिक अनुभव प्रदान करता है। नालंदा के छात्र वैश्विक व साझा सांस्कृतिक विरासत के बारे में केवल किताबों से ही नहीं सीखते हैं अपितु यहां के बहुसांस्कृतिक वातावरण की जीवंतता को अनुभव भी करते हैं। प्रो. सिंह ने छात्रों के चरित्र निर्माण और सर्वांगीण विकास में संस्कृति की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत भरतनाट्यम व लोक नृत्य की प्रस्तुति के माध्यम से वर्षा ऋतु व इससे संबंधित कृषि कार्य के उत्सवों को दर्शाया गया।

कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में किया गया था। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के तत्वावधान में संचालित नालंदा विश्वविद्यालय एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है। यहाँ का परिसर विश्व के सबसे बड़े नेट-ज़ीरो परिसर में से एक है। अपने पुनर्स्थापित नए अवतार में नालंदा अपनी उत्तरोत्तर प्रगति की ओर प्रशस्त है।

21st July 2023 : नालंदा ने खाड़ी में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने पर केंद्रित बिम्सटेक संगोष्ठी की मेजबानी की

एशिया में समुद्री व्यवस्था को एक बार फिर प्रभावित करने की क्षमता के साथ बंगाल की खाड़ी (खाड़ी) क्षेत्र में भू-आर्थिक, भू-राजनीतिक और भू-सांस्कृतिक गतिविधियों में वृद्धि हो रही है। खाड़ी में रुचि रखने वाले सभी लोगों के लिए कनेक्शन और मंच बनाकर, नालंदा विश्वविद्यालय ने नवंबर 2023 में छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन से पहले रन-अप कार्यक्रमों के रूप में संगोष्ठी की एक श्रृंखला शुरू की है और सकारात्मक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए एक ज्ञान मार्ग बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। इस पहल के साथ, विश्वविद्यालय का लक्ष्य खाड़ी में चुनौतियों और अवसरों के बारे में अधिक जागरूकता के माध्यम से जनता को संवेदनशील बनाना है और व्यावहारिक नीति सिफारिशों की पेशकश करते हुए बंगाल की खाड़ी के अनुसंधान में योगदान देना है। इसका उद्देश्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रमुख हितधारकों और विशेषज्ञों के बीच एक स्पष्ट और केंद्रित चर्चा करना है।   इस उद्देश्य से नालंदा विश्वविद्यालय में दिनाक 21 जुलाई 2023 को बिम्सटेक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। हाइब्रिड मोड में आयोजित यह संगोष्ठी समुद्री सुरक्षा पहलू को मजबूत करने पर केंद्रित थी। सम्मानित वक्ताओं का परिचय देते हुए, कोलोक्वियम के संयोजक डॉ. राजीव रंजन चतुर्वेदी ने टिप्पणी की कि खाड़ी प्राकृतिक संसाधनों की असीमित दोहन और भू-राजनीतिक साजिश के कारण उत्पन्न एक अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है, जिससे विनाशकारी परिणामों के साथ पारिस्थितिक, आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो अभय कुमार सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया और बिम्सटेक की प्रगति पर चर्चा की. प्रो. सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि बिम्सटेक क्षेत्र की समृद्धि और विकास के साथ-साथ कई सुरक्षा मुद्दों का सामना करने के लिए एक महत्वपूर्ण ताकत बन रहा है। वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (सेवानिवृत्त), भारत के पहले राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा समन्वयक और राजदूत सीएसआर राम, संयुक्त सचिव (बिम्सटेक और सार्क), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार का उन्होंने हार्दिक आभार व्यक्त किया और इस बात पर जोर दिया कि भारत सरकार के दो बहुत वरिष्ठ प्रतिनिधियों की भागीदारी और उपस्थिति इस बात का द्योतक है कि हमारी सरकार खाड़ी क्षेत्र को कितना महत्व देती है। प्रो. सिंह ने रेखांकित किया कि अतीत में पहाड़ और समुद्र जैसे परिदृश्य प्राकृतिक बाधाएं थे जो मानव समुदाय और राष्ट्रों की रक्षा करते थे, और अब हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गए हैं जहां मानवता को प्राकृतिक संपदा और परिदृश्य को मानव खतरे से बचाना है। इसके लिए मजबूत राष्ट्रों की आवश्यकता है और इसलिए हमें और मजबूत होकर उभरना होगा।

कोलोक्वियम श्रृंखला का शुभारंभ राजदूत राम के विशेष संबोधन के साथ किया गया। विश्वविद्यालय और अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह और उनकी टीम की समय पर कार्रवाई के लिए श्री राम द्वारा प्रशंसा की गई। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खाड़ी के आसपास के देश संस्थानों को विकसित करने के लिए महान प्रयास कर रहे हैं और इन प्रयासों ने पिछले कई वर्षों में महत्वपूर्ण प्रगति की है, विशेष रूप से 2018 काठमांडू शिखर सम्मेलन के बाद। उन्होंने आगे कहा कि नवंबर में आगामी बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में बिम्सटेक तंत्र के लिए प्रक्रिया के नियमों को अपनाया जाएगा। बिम्सटेक में प्राप्त कई उपलब्धियों और प्रगति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्षेत्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सुरक्षा एक महत्वपूर्ण आधारशिला है।

एडमिरल कुमार, जिन्होंने विभिन्न परिचालन और प्रशासनिक पहलों के माध्यम से भारत की समुद्री सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, ने कोलोक्वियम में मुख्य भाषण ऑनलाइन प्रस्तुत किया। उन्होंने अपनी टिप्पणी में कई सरकारी पहलों और प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालते हुए भारत की समुद्री सुरक्षा स्थिति का गहराई से विवरण दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि खाड़ी अपने ऐतिहासिक विकास में अलग-थलग होने से लेकर फिर से जुड़ने की ओर बढ़ गई है। एडमिरल कुमार द्वारा वैश्विक कॉमन्स के विचारों, संपूर्ण समुद्री डोमेन जागरूकता और मिशन-आधारित तैनाती पर भी चर्चा की गई। उन्होंने आगे कहा, समुद्री सुरक्षा एक वैश्विक मुद्दा है जो क्षेत्र में सभी को प्रभावित करता है और इसलिए, हमें समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सहयोग के तरीके खोजने चाहिए।

संगोष्ठी में अन्य प्रतिष्ठित वक्ता प्रोफेसर संजय श्रीवास्तव, कुलपति, महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी; डॉ. पी. कृष्णन, निदेशक, बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम-अंतर सरकारी संगठन; और प्रोफेसर संजय चतुवेर्दी, साउथ एशिया यूनिवर्सिटी थे। प्रो. श्रीवास्तव ने भारत के लिए खाड़ी के महत्व पर प्रकाश डाला और क्षेत्रीय सुरक्षा जटिल प्रणाली पर चर्चा की। उन्होंने क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की सुरक्षा चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला और भारत को एक नेट सुरक्षा प्रदाता के रूप में देखा। डॉ. कृष्णन ने गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया और बहुआयामी दृष्टिकोण पर जोर दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। प्रो.चतुर्वेदी ने समुद्री सुरक्षा को उप-क्षेत्रीय बनाने की अनिवार्यताओं, अवसरों और चुनौतियों पर बात की और रेखांकित किया कि भारत को इस क्षेत्र में ‘ज्ञान प्रदाता’ की भूमिका निभाने और हार्डवेयर के साथ-साथ सॉफ्टवेयर साझा करने के माध्यम से भागीदार देशों की क्षमता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।

21 June 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में मनाया गया 9वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में आज 9वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया । संकाय सदस्यों, कर्मचारियों और छात्रों सहित नालंदा समुदाय ने इसमें सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह के उद्बोधन से हुई। उन्होंने योग के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए बताया कि यौगिक जीवन-शैली भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रही है। उन्होंने कहा, “योग एक ऐसा अनुशासन है जो हममें आध्यात्मिक प्रवृत्तियों को बढ़ाता है और हमें अपने अंतर्मन से जुड़ने में मदद करता है।” प्रो. अभय कुमार सिंह कहा कि आधुनिक समय में जहाँ आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों की वजह से हमारी एकाग्रता व रचनात्मकता का निरंतर ह्रास हो रहा है ऐसे में योग पद्धतियों को अपना कर हम अपनी मानसिक शक्ति को सुदृढ़ रख सकते हैं।

कुलपति के संबोधन के पश्चात आसन और प्राणायाम के अभ्यास सत्र का आयोजन किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, कर्मचारी के साथ साथ विद्यार्थी भी उत्साह के साथ सम्मिलित हुए और  विभिन्न आसन और ध्यान का अभ्यास किया। योग- सत्र की योजना भारत सरकार और आयुष मंत्रालय के नियमों के अनुरूप थी।

नालंदा विश्वविद्यालय में योग और ध्यान पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग हैं। विगत कई वर्षों से यहाँ योग और ध्यान पर अल्पावधि पाठ्यक्रम  चल रहे जिससे विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के साथ-साथ स्थानीय छात्र भी लाभान्वित हो रहे हैं। नालंदा विश्वविद्यालय में एक नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही है। विश्वविद्यालय का नेट-जीरो परिसर एक हरित और समेकित जीवन शैली की दिशा में एक अनुकरणीय मार्ग प्रशस्त कर रहा है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से छात्रों को आकर्षित करते हुए उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में उभर रहा है।

08 June 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में C20 द्वारा 'मानवाधिकार के रूप में मानवीय मूल्य' विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित

सिर्फ प्रतिक्रियावादी न होकर स्वाभाविक व स्वतः स्फूर्त हो मानवाधिकारों की बात

– बिहार के राज्यपाल माननीय श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर

मानवीय गरिमा के प्रति प्रतिबद्धता में समाहित है मानवाधिकार की संकल्पना

– आईसीसीआर अध्यक्ष,  डॉ विनय सहस्रबुद्धे

भारतवर्ष की चेतना में सर्वोपरि रहे हैं मानव मूल्य और अधिकार

– प्रोफेसर अभय कुमार सिंह, अंतरिम कुलपति, नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय में ‘मानवाधिकार के रूप में मानवीय मूल्य’ विषय पर  अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। दो दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र आज सुबह विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में सम्पन्न हुआ।  सिविल 20 (C20) सेक्रेटेरिएट की सहभागिता में आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रतिष्ठित विद्वानों की सक्रिय प्रतिभागिता रही। मुख्य अतिथि के रूप में बिहार के राज्यपाल माननीय श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर उपस्थित रहे। सांसद भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने मुख्य वक्ता के रूप में सम्मेलन को संबोधित किया।

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने  अपने उद्बोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत की परंपरा में सभी प्राणियों के प्रति सद्भाव, सर्वे भवन्तु सुखिनः के साथ वसुधैव कुटुम्बकम की भावना अंतर्निहित रही है। भारत ने दुनिया के सामने एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जहां मानव मूल्य सर्वोपरि रहे हैं तथा समाज स्वतः अधिकारों को सुरक्षित करता रहा था।

कुलपति के संबोधन के उपरांत मुख्य वक्ता के रूप में आईसीसीआर के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने कहा कि बिहार में नालंदा की पावन भूमि पर इस सम्मेलन का आयोजन हर्ष का विषय है। मानवाधिकार के रूप में मानवीय मूल्य की भूमिका की चर्चा करते उन्होंने कहा कि मानवीय गरिमा के प्रति प्रतिबद्धता की भावना मानवाधिकारों की संकल्पना में समाहित है।

उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि और बिहार के राज्यपाल माननीय श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि आज के समय में मानवाधिकारों के संरक्षण का मुद्दा तब उठता है जब अमानवीय अत्याचार की घटनाएं हमारे सामने आती हैं। मानवता हमारे अंतस में एवं हमारे स्वभाव में और स्वतःस्फूर्त होनी चाहिए।

उद्घाटन सत्र की समाप्ति के समय धन्यवाद ज्ञापन सेंटर फॉर पॉलिसी एनालिसिस, पटना से आए डॉ. दुर्गा नंद झा ने किया। कार्यक्रम का संचालन श्री नितिन शर्मा, अध्यक्ष, वर्ल्ड अर्गनईजेशन फॉर स्टूडेंट एण्ड यूथ द्वारा किया गया।

आज के इस कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ताओं व अन्य विशेषज्ञों द्वारा मानवाधिकार के शोधपूर्ण पक्ष पर परिचर्चा भी हुई। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आमंत्रित प्रतिभागी, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र व प्रशासनिक कर्मचारी उपस्थित रहे। उपस्थित प्रतिभागी व विद्वानों ने नालंदा के समग्र विकास के लिए हो रहे प्रयासों की सराहना की और ज्ञान की इस प्राचीन भूमि के मूर्त और अमूर्त पहलुओं का पुनर्जीवित होना एक ऐतिहासिक घटना बताया।

नालंदा विश्वविद्यालय की मेजबानी में हुए इस सम्मेलन का आयोजन सिविल 20 (C20)द्वारा किया गया है। यह संस्थान दुनिया भर के नागरिक समाज संगठनों (CSO) को एक साथ जोड़ने का एक मंच है जो उन्हें G20 के नेतृत्व में हुई परिचर्चाओं में उद्धारित विचारों को प्रस्तावित करने का अवसर प्रदान करता है।

सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है। c20 के तहत हो रहे इस कार्यक्रम की पहल से नालंदा के छात्रों को मानवाधिकार के मूल्यों और इससे जुड़े अन्य पहलूओं की समझ को विकसित करने में मदद मिलेगी।

06 June 2023 : *नालंदा विश्वविद्यालय में मनाया गया विश्व पर्यावरण दिवस *

बड़े पैमाने पर एनयू समुदाय ने किया वृक्षारोपण

नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में कल विश्व पर्यावरण दिवस का कार्यक्रम उल्लास के साथ मनाया गया। नालंदा विश्वविद्यालय समुदाय द्वारा इस कार्यक्रम के तहत सामूहिक वृक्षारोपण अभियान भी आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह सहित संकाय सदस्यों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों और छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने प्लास्टिक प्रदूषण के संकट पर प्रकाश डाला। उन्होंने नालंदा समुदाय से टिशू पेपर जैसे डिस्पोजल का उपयोग को कम करने का आग्रह किया। स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज के डीन प्रो. जयशंकर नायर ने भी सभा को संबोधित किया। एक प्रभावी पर्यावरण व पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए उन्होंने छात्रों को संरक्षण की चेतना विकसित करने की सलाह दी। कार्यक्रम के दौरान स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट स्टडीज के छात्रों द्वारा एक वृत्तचित्र भी प्रदर्शित किया गया।

नालंदा विश्वविद्यालय नेट-जीरो परिसर की कल्पना को साकार करने वाले विश्व के कुछ अग्रणी शिक्षा संस्थानों में से एक है। यहाँ जैव-विविधता, जल संरक्षण प्रणाली एवं अपशिष्ट प्रबंधन को प्रभावी रूप से कार्यान्वित किया जा रहा है। विश्वविद्यालय की 455 एकड़ की भूमि को दुनिया के एक बड़े हरित परिसरों में रूपांतरित किया जा रहा है। विश्वविद्यालय नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के माध्यम से पर्यावरण परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह परिसर 6.5 मेगावाट की क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ-साथ अपशिष्ट से ऊर्जा रूपांतरण प्रणाली की तकनीक से लैस भी है। नालंदा विश्वविद्यालय एक हरित और समेकित जीवन शैली की दिशा में एक अनुकरणीय मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

25 May 2023 : नालंदा व जांबी विश्वविद्यालय (इंडोनेशिया) के बीच आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटी कंसोर्टियम के तहत शैक्षणिक और अनुसंधान हेतु समझौता-ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर

आज नालंदा व जांबी विश्वविद्यालय (इंडोनेशिया) के बीच आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटी कंसोर्टियम के तहत समझौता-ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। दोनों विश्वविद्यालय अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान कार्यक्रमों और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में संयुक्त रूप से संलग्न होने पर सहमत हुए। जांबी विश्वविद्यालय के डिप्टी रेक्टर डॉ. इर. तेजा कस्वरी के नेतृत्व में इंडोनेशिया से आए प्रतिनिधिमंडल में अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख डॉ श्री वाचयूनी के साथ अनुसंधान और सामुदायिक सेवा संस्थान के प्रमुख डॉ अडे ओक्टाविया और अन्य प्रतिष्ठित विद्वान सम्मिलित रहे।

इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने कहा कि इस पहल से भारत और इंडोनेशिया के बीच प्राचीन संबंध और भी सुदृढ़ होंगे। उन्होंने दोनों देशों के बीच प्राचीन सभ्यतागत मूल्यों को पुनर्जीवित करने की प्रतिबद्धता पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा, “आसियान-भारत नेटवर्क में शामिल होकर जंबी विश्वविद्यालय ने इन दोनों देशों के बीच प्राचीन अंतर्संबंधों के पुनर्विकास की ओर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह एमओयू भविष्य में एआईएनयू संघ के सदस्य विश्वविद्यालयों के शिक्षाविदों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण संवाद स्थापित करेने में सहयोगी होगा।“

जांबी विश्वविद्यालय के डिप्टी रेक्टर डॉ. इर. तेजा कस्वरी ने पुराने सभ्यतागत मूल्यों को याद करते हुए कहा की नालंदा के इस नए अवतार में ज्ञान-परंपरराओं का एक बार फिर विकास किया जा रहा है। उन्होंने टिप्पणी की कि नालंदा और जंबी विश्वविद्यालय सुदृढ़ पारस्परिक सहयोग की भावना से एक साथ आ रहे हैं। इंडोनेशिया नालंदा विश्वविद्यालय के सदस्य देशों में से एक रहा है

प्रतिनिधिमंडल के लिए एक कैंपस टूर की भी व्यवस्था की गई थी, जिसमें उन्हें नेट-जीरो स्टेनेबल कैंपस बनाने के प्रयास के बारे में बताया गया था। उन्होंने नालंदा के पर्यावरण देखभाल और सौंदर्य निर्माण की सराहना की।

नालंदा विश्वविद्यालय एआईएनयू आसियान-भारत नेटवर्क के लिए नोडल संस्थान के रूप में कार्यरत है। इस एमओयू पर हस्ताक्षर के कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की निवर्तमान कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह भी उपस्थित रहीं जिनके नेतृत्व में आसियान-इंडिया नेटवर्क सहित अनेक शैक्षणिक उपक्रमों की शुरुआत नालंदा में हुई है।

सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक था। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है। वर्तमान में, एनयू में लगभग 38 राष्ट्रीयताओं के छात्र हैं जो यहाँ के जीवंत हरित परिसर के 455 एकड़ में अध्ययनरत हैं। प्राचीन नालंदा की स्मृति को पुनर्जीवित करने के प्रयास में लगा यह विश्वविद्यालय 21वीं सदी के संदर्भ में वैश्विक ज्ञान केंद्र के रूप में उभर रहा है।

14 May 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय और डैफोडिल्स अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बांग्लादेश ने शैक्षणिक और अनुसंधान सहयोग के लिए ढाका में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए

नालंदा विश्वविद्यालय, भारत और डैफोडिल अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, बांग्लादेश के बीच ढाका, बांग्लादेश में कल (दिनांक:14 मई 2023) शैक्षणिक सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ। दोनों विश्वविद्यालय अकादमिक आदान-प्रदान, अनुसंधान कार्यक्रमों और अन्य शैक्षणिक गतिविधियों में संयुक्त रूप से संलग्न होने पर सहमत हुए।

इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने एशियाई क्षेत्र में एक जीवंत ज्ञान-तंत्र बनाने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “संस्थानों के बीच ऐसे शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के द्वारा एक समावेशी ज्ञान परंपरा विकसित होने की संभावना अंतर्निहित है। नालंदा विश्वविद्यालय का एक मुख्य उद्देश्य ज्ञान मार्ग के माध्यम से भारत को दुनिया के साथ जोड़ने में ‘सेतु’ के रूप में काम करना है”, कुलपति ने कहा।

इस अवसर पर डॉ. एम. लुत्फर रहमान, वाइस चांसलर, डैफोडिल्स इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन, डैफोडिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के चांसलर हैं। इस समझौता ज्ञापन से दोनों देशों के शिक्षाविदों के बीच सद्भाव और द्विपक्षीय संबंधों सुदृढ़ होंगे।

राष्ट्रीय महत्व के अंतरराष्ट्रीय संस्थान के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के बाद हुई जिसके सदस्य देशों में बांग्लादेश भी रहा है। सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक था। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार है। वर्तमान समय में नालंदा में लगभग 38 देशों के छात्र यहाँ के 455 एकड़ में फैले जीवंत हरित परिसर में अध्ययनरत हैं। कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में प्राचीन नालंदा की तरह यह विश्वविद्यालय 21वीं सदी के संदर्भ में वैश्विक ज्ञान के एक स्तम्भ के रूप में एक बार फिर उभरने के लिए तैयार हो रहा है।

12 May 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) चेयर की होगी स्थापना: नालंदा की एक और उपलब्धि

नालंदा विश्वविद्यालय में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के चेयर की स्थापना प्रस्तावित हुई है। वर्ष 2023 में भारत की अध्यक्षता में हो रहे एससीओ की विभिन्न गतिविधियों के अंतर्गत इस चेयर की स्थापना एससीओ सदस्य देशों के साथ साझा बौद्ध विरासत के अनुसंधान हेतु विदेश मंत्रालय, भारत सरकार और इसके एससीओ प्रभाग के सहयोग के साथ विश्वविद्यालय कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह की एक महत्त्वपूर्ण पहल है।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक अंतर सरकारी संगठन है। बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ भारत का एससीओ के विभिन्न सदस्य देश के साथ प्राचीन काल से ही व्यापार एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान होता रहा है। वर्तमान संदर्भ में इस संगठन ने भारत, चीन व मध्य एशिया के देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। “प्राचीन समय में नालंदा के माध्यम से सम्पूर्ण एशियाई क्षेत्र में सांस्कृतिक और सभ्यतागत संवाद स्थापित होता रहा है। अपने नए अवतार में नालंदा विश्वविद्यालय आज के बहुध्रुवीय विश्व में अपने इस ऐतिहासिक दायित्व का निर्वाह करने के लिए तैयार हो रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय में एससीओ चेयर की स्थापना से हमारी साझा बौद्ध विरासत की समझ और भी समृद्ध होगी।“

एससीओ अध्यक्ष के रूप में भारत के महत्त्व को रेखांकित करते हुए, कुलपति प्रोफेसर सिंह ने कहा, “इस पहल से वैश्विक शांति और विकास के साथ-साथ हमारी बौद्ध धर्म की साझा आध्यात्मिक विरासत को पुनर्स्थापित करने में मदद मिलेगी। एससीओ सदस्य देशों के बीच साझा अतीत, विरासत, भाषाई और सभ्यतागत संबंध रहे हैं। इस चेयर की स्थापना का उद्देश्य बौद्ध अध्ययन और सांस्कृतिक क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देना एवं भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना है।”

कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह के नेतृत्व में नालंदा विश्वविद्यालय वर्तमान समय में ज्ञान-परंपरा के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों के पुनर्निर्माण की दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। सत्रह सदस्य देशों के साथ राष्ट्रीय महत्व के इस अंतर्राष्ट्रीय संस्थान का संचालन विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में हो रहा है। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा समर्थित इस एससीओ चेयर की स्थापना की पहल से वैश्विक स्तर पर भारत के अंतरराष्ट्रीय संबंध और भी समृद्ध होंगे।

गौरतलब है कि हाल में ही साझा बौद्ध विरासत के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक संबंध को फिर से स्थापित करने और समानताओं की तलाश करने पर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के विशेषज्ञों की एक सफल अंतर्राष्ट्रीय बैठक आयोजित की गई थी। भारत की एससीओ अध्यक्षता के तहत हो रही गतिविधियां, गैर-पश्चिमी दुनिया में भारत के बहुपक्षीय संबंधों का विस्तार करने में प्रयासरत हैं। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एससीओ में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा है और इस संगठन के विभिन्न आयामों को पर्याप्त समर्थन प्रदान करता रहा है। भारत ने समरकंद (उज़्बेकिस्तान) में आयोजित 2022 एससीओ शिखर सम्मेलन में एससीओ की अध्यक्षता ग्रहण की और वर्ष 2023 में इस संगठन के शिखर सम्मेलनों की मेजबानी कर रहा है।

29 April 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय के लिए नए कुलाधिपति नियुक्त

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और पद्म भूषण से सम्मानित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया को नालंदा विश्वविद्यालय का कुलाधिपति नियुक्त किया गया है। नालंदा विश्वविद्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार विश्वविद्यालय को 28 अप्रैल, 2023 की देर शाम विदेश मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रोफेसर अरविंद पनगढ़िया के विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में नियुक्ति की सूचना मिली। नालंदा विश्वविद्यालय भारतीय संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित राष्ट्रीय महत्व का एक अंतरराष्ट्रीय संस्थान है जो विदेश मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में कार्यरत है। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के सत्रह देश इस विश्वविद्यालय के सहभागी सदस्य हैं।

भारत के राष्ट्रपति द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष प्रोफेसर पनगढ़िया को नियुक्त किए जाने पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने पूर्ण प्रसन्नता व्यक्त की और प्रोफेसर पनगढ़िया को शुभकामनाएं प्रेषित की।

प्रोफेसर पनगढ़िया को भारतीय अर्थव्यवस्था के अग्रणी विशेषज्ञ के रूप में जाना जाता है। वह एशियाई विकास बैंक (एडीबी) के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं। वर्तमान में डॉ. पनागरिया अमेरिका स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में भारतीय आर्थिक नीतियों पर दीपक और नीरा राज केंद्र के निदेशक भी हैं। उन्होंने मैरीलैंड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र विभाग में भी पढ़ाया है और विश्व बैंक, IMF और UNCTAD जैसे विश्वस्तरीय संस्थानों साथ विभिन्न पदों पर काम किया है।

एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर और अर्थशास्त्री के रूप में भारत को गौरवान्वित करने वाले डॉ. पनगढ़िया, अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के सदस्य रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर अनुसंधान के लिए इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ओं इंटरनेशनल इकोनॉमिक रिलेशन (आईसीआरआईईआर) के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य के रूप में भी कार्य किया है। मार्च 2012 में भारत सरकार द्वारा डॉ. पनगढ़िया को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था जो किसी भी क्षेत्र में दिया जाने वाला देश का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है। प्रोफेसर पनगढ़िया नालंदा विश्वविद्यालय के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य भी रह चुके हैं।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति के रूप में डॉ. पनगढ़िया को नियुक्त करने हेतु कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने भारत के माननीय राष्ट्रपति और माननीय विदेश मंत्री के प्रति अपना आभार व्यक्त किया। नए कुलाधिपति की नियुक्ति का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय एक युवा विश्वविद्यालय है जो आने वाले समय में डॉ. पनगढ़िया की असाधारण विद्वता और उत्कृष्ट अकादमिक अनुभव से निश्चित ही लाभान्वित होगा।

15th April 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में G20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट: एंगेजिंग यंग माइंड्स के तहत कार्यक्रम आयोजित

“वसुधैव कुटुंबकम के विचार का प्रतिनिधितत्व करता है नालंदा” – प्रो. सुनैना सिंह

नालंदा विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज ऑडिटोरियम में आज G20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट: एंगेजिंग यंग माइंड्स’ श्रृंखला के तहत व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम आर.आई.एस (रिसर्च एण्ड इनफॉर्मेशन सिस्टम फॉर डवलपिंग कनट्रिज) के सहयोग से आयोजित किया गया था। इसमें भारत और विदेशों के प्रतिष्ठित विद्वानों और राजनयिकों की सक्रिय प्रतिभागिता रही।

कार्यक्रम का आरंभ नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह के संबोधन से हुआ। अपने भाषण में उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वर्तमान समय के परिवर्तनशील विश्व में वसुधैव कुटुम्बकम के प्राचीन भारतीय आदर्श को साकार करना तथा वैश्विक एकता कायम रखना भारत की प्राथमिकता है जो भारत की अध्यक्षता में G20 के ‘एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य’ के आदर्श-वाक्य में सन्निहित है। । उन्होंने कहा कि जब दुनिया के कई देशों में आर्थिक विकास दर में गिरावट दिख रही है, भारत अपने साक्षरता और सकल घरेलू उत्पाद के विकास दर में प्रगति कर रहा है। सौ से अधिक यूनिकॉर्न बनाने वाले युवा उद्यमियों के साथ भारत सॉफ्टवेयर पावर के रूप में भी उभरा है। उन्होंने बताया कि माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के पांच-सूत्री सिद्धांत जिन्हे ‘पंचामृत’ कहा जाता है, आज के समय में प्रासंगिक हैं।

कुलपति के संबोधन के बाद राजदूत जे.एस. मुकुल, जो सुषमा स्वराज विदेश सेवा संस्थान, नई दिल्ली के पूर्व डीन भी हैं, ने G20 में भारत की अध्यक्षता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने जी20 फोरम में भारत के प्रभुत्व और वर्तमान अध्यक्षता के महत्त्व को रेखांकित किया। राजदूत जे.एस. मुकुल ने दक्षिण-देशों के वैश्विक स्तर पर प्रतिनिधि के रूप में भारत की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। इस संदर्भ में उन्होंने यह भी कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय के ज्ञान-सर्जन के परंपरा को विकसित करने का बड़ा महत्व है।

“मानवता, प्रगति और सुरक्षित विश्व के प्रकाश स्तंभ के रूप में रही है नालंदा विश्वविद्यालय की भूमिका”: श्री शौर्य डोभाल

युवा अर्थशास्त्री, उद्योग-रत्न पुरस्कार विजेता, और इंडिया फाउंडेशन के निदेशक श्री शौर्य डोभाल ने कहा कि भारत भविष्य में वैश्विक परिप्रेक्ष्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है जहां भारत को फिर से विश्व-गुरु के रूप में पुनर्स्थापित करने में नालंदा विश्वविद्यालय की प्रमुख भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य अगले 25 वर्षों तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करना है और पिछले 10 वर्षों में हमारी प्रगति हमें इस उच्च स्थिति के लिए आश्वस्त करती है। भारत की संपन्नता से कई देशों को लाभ होगा, विश्व की करीब 40% आबादी और युवा इसके प्रत्यक्ष लाभार्थी होंगे। उन्होंने यह भी कहा की हमें औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर होकर आत्मविश्वास के साथ उभरना है। यह आशा व्यक्त करते हुए कि नालंदा की परंपरा दुनिया को स्वदेशी विचारों के साथ एक वैकल्पिक सामाजिक-आर्थिक मॉडल प्रदान कर सकता है, उन्होंने आधुनिक “नालंदा विश्वविद्यालय को मानवता, प्रगति और सुरक्षित दुनिया के प्रकाश स्तंभ” के रूप में चिह्नित किया।

व्याख्यान सत्र के बाद एक परिचर्चा का आयोजन हुआ जिसमें भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान आई.बी.एस.ए सहयोग को मजबूत करने के विषय पर विचार हुआ। मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व राजदूत वीरेंद्र गुप्ता ने भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के पारस्परिक संबंध को निकट लाने में आई.बी.एस.ए की अहम भूमिका के बारे में विस्तार से बताया। ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और भारत के अन्य विशेषज्ञों ने इस संबंध में अपने शोधपूर्ण पक्ष रखे।

आज के इस कार्यक्रम में आमंत्रित वक्ताओं और एनयू छात्रों के बीच प्रश्नोत्तर सहित अन्य महत्त्वपूर्ण बिदुओं पर परिचर्चा भी हुई। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, छात्र व प्रशासनिक कर्मचारी भी उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों और विद्वानों ने नालंदा के समग्र विकास के लिए वाइस चांसलर के सफल प्रयासों और ज्ञान की इस प्राचीन भूमि के मूर्त और अमूर्त पहलुओं को पुनर्जीवित करने हेतु किए गए उनके प्रयोगों की सराहना की।

सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर इसी तरह की यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है। वर्तमान कुलपति के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में कई नए पहल की गए हैं जो नालंदा की नींव को सुदृढ़ कर रहे हैं। G20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम की पहल से नालंदा के छात्रों को वैश्विक नीतियों समझ को विकसित करने और वर्तमान संदर्भ में उभरती चुनौतियों का अध्ययन करने में मदद मिलेगी।

27 March 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में आईसीसीआर अध्यक्ष का भव्य स्वागत

आईसीसीआर अध्यक्ष ने नालंदा को “अद्वितीय विश्वविद्यालय” के रूप में विकसित करने के लिए कुलपति के प्रयासों की सराहना की

नालंदा विश्वविद्यालय ने आज भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे का भव्य स्वागत किया। माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के निमंत्रण पर आज डॉ. विनय सहस्रबुद्धे विश्वविद्यालय आए थे । डॉ. सहस्रबुद्धे ने नालंदा समुदाय एवं भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों को संबोधित किया।

उन्होंने नालंदा के परिसर का भ्रमण भी किया, जिसमें उन्हें नेट-जीरो योग्य परिसर बनाने के प्रयास के बारे में बताया गया। माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह, जो आईसीसीआर की पूर्व उपाध्यक्ष भी हैं, ने डॉ. सहस्रबुद्धे का स्वागत करते हुए उन्हें एक “सांस्कृतिक स्तम्भ” और “नीति निर्धारक” बताया जिन्होंने आईसीसीआर के माध्यम से राष्ट्र के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। अपने संबोधन में प्रो सिंह ने इतिहास के विस्तृत कालखंड में भारत की “विश्व गुरु” के रूप में भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने “भारतीय संस्कृति” को शांति, सद्भावना और बंधुत्व की संस्कृति के रूप में परिभाषित किया। नालंदा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय “भविष्य का परिसर” है, जिसका अनुकरण न केवल भारत में अपितु दुनिया भर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा होगा।

अपने संबोधन में डॉ विनय सहस्रबुद्धे ने नालंदा विश्वविद्यालय को “अद्वितीय विश्वविद्यालय” के रूप में विकसित करने के लिए कुलपति के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने आईसीसीआर की भूमिका का उल्लेख करते हुए वैश्विक-सांस्कृतिक संबंधों और ‘भारततीयता के विचार’ पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “भारत की विशिष्ट पहचान है,” और दुनिया भर में अपने सांस्कृतिक सौहार्द के लिए इसे आदर प्राप्त है। उन्होंने आध्यात्मिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक विविधता, वैश्विक सद्भावना और अंत्योदय के विचार को भारतीय संस्कृति के मूल सिद्धांतों के रूप में उल्लेखित किया।

उन्होंने आईसीसीआर के सहयोग से विदेशों से छात्रों को लाभान्वित करने के लिए विश्वविद्यालय में कुछ अल्पकालिक पाठ्यक्रमों को शुरू करने का सुझाव दिया। नालंदा में अध्ययनरत कई अंतरराष्ट्रीय छात्र जो आईसीसीआर के सहयोग से इस विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे हैं, उन्होंने आईसीसीआर के सहयोग के लिए डॉ सहस्रबुद्धे को धन्यवाद दिया। डॉ सहस्रबुद्धे ने यह भी घोषणा की कि आईसीसीआर स्थापना दिवस [9 अप्रैल] के अवसर पर एक ‘आईसीसीआर अल्यूमनाई ‘ का उद्घाटन किया जाएगा, जो भारत में अध्ययन करने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी-समुदाय को जोड़ने का काम करेगा।

वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय में 31 देशों के विद्यार्थी नामांकित हैं। प्राचीन भारतीय/एशियाई ज्ञान-परंपरा से प्रेरणा ले कर नालंदा एक अभिनव दृष्टिकोण के साथ वर्तमान युवा पीढ़ी का समेकित विकास कर उन्हें भविष्य के ज्ञान परंपरा के नेतृत्व की ओर प्रेरित करने में प्रयासरत है। विगत चार वर्षों में माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में कई नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही हैं जो ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की आधारशिला को सुदृढ़ कर रही हैं।

14 December : नालंदा विश्वविद्यालय की विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला:

अमेरिकी उद्यम पूंजीपति ने मनेजमेंट छात्रों को बताए ‘स्टार्ट-अप की सफलता के राज’

नालंदा विश्वविद्यालय की विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला के तहत अमेरिका के डेनवर में बसे प्रख्यात उद्यम पूंजीपति श्री कमलेश द्विवेदी ने ‘स्टार्ट-अप की सफलता का राज’ विषय पर एक व्याख्यान दिया । इस व्याख्यान का आयोजन 14 दिसंबर को विश्वविद्यालय के सभागार में किया गया था ।
विश्वविद्यालय के इस विशिष्ट व्याख्यान श्रृंखला कार्यक्रम में उत्कृष्ट शिक्षाविदों और विशेषज्ञों को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जाता है । इसके तहत नालंदा विश्वविद्यालय के विद्वान और शोधकर्ता इन विशेषज्ञों के नूतन दृष्टिकोण और शोध से रूबरू हो पाते हैं । इन व्याख्यानों के माध्यम से नालंदा के छात्रों को भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं अन्य संस्थानों में हो रहे अध्ययन और शोध के विविध क्षेत्रों से अवगत कराया जाता है।

विगत कुछ वर्षों में पूरी दुनिया ने कोविड जैसी महामारी के संकट को झेला है जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई है। इस अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने में नवप्रवर्तक विचारों वाले नए स्टार्ट-अप अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन्ही स्टार्ट-अप के संभावित और संबंधित जोखिम के बारे में अधिक चर्चा करने के लिए श्री द्विवेदी को नालंदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज ने आमंत्रित किया गया था ताकि वो व्याख्यान के माध्यम से अपने विचारों और अनुभवों के बारे में बता सकें।

अपने व्याख्यान में श्री द्विवेदी ने नए उद्यमियों के लिए सावधानियों और आने वाले जोखिमों पर विस्तार से प्रकाश डाला । उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अगर बाजार की जरूरत के मुताबिक कोई नवप्रवर्तनकारी विचार है तो उसके लिए उद्यम-पूंजी के अवसर हमेशा उपलब्ध रहते हैं। अपने व्याख्यान के दौरान उन्होंने नालंदा के युवा छात्रों को नए स्टार्ट-अप के लिए नए विचारों के साथ आने के लिए प्रोत्साहित किया । उन्होंने सत्र का समापन अपने मंत्र “गिविंग इज लिविंग” के साथ किया।

उनके व्याख्यान के बाद प्रश्नोत्तर सत्र हुआ। व्याख्यान सत्र में विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया । स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज के डीन ने विश्वविद्यालय की ओर से आमंत्रित वक्ता को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया और माननीय कुलपति प्रो सुनैना सिंह को उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया ।

कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में, नालंदा विश्वविद्यालय में इस तरह के कई कार्यक्रमों और विद्वानों के संवाद सत्रों का निरंतर आयोजन होता रहता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत और दुनिया की अमूर्त और मूर्त विरासत की समग्र प्रशंसा और संरक्षण करना है। नालंदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज, स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एन्वयारन्मेंट स्टडीज और स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज इस तरह के कार्यक्रमों और व्याख्यानों के आयोजन के लिए सक्रिय तौर से जुटे रहते हैं।

25th February 2023 :  नालंदा विश्वविद्यालय और डोंगगुक विश्वविद्यालय, दक्षिण कोरिया ने आपसी  शैक्षणिक सहयोग और अनुसंधान हेतु समझौता ज्ञापन ( एमओयू) पर हस्ताक्षर किए

दक्षिण कोरिया के डोंगगुक विश्वविद्यालय से आए एक उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अपने चेयरमैन श्री वेन. डोंगग्वान, अध्यक्ष श्री युन जे-वूंग, उपाध्यक्ष और विद्वानों के साथ शैक्षणिक और अनुसंधान के क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग हेतु समझौता ज्ञापन के लिए नालंदा विश्वविद्यालय का दौरा किया। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर  का कार्यक्रम कल ( दिनांक 24 फरवरी 2023) नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति के कार्यालय में सम्पन्न हुआ। दोनों विश्वविद्यालय अकादमिक आदान-प्रदान, संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों एवं अन्य योजनाओं को अपने कार्यक्षेत्र में शामिल करने पर सहमत हुए।

इस अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने इसे भारत और दक्षिण कोरिया के प्राचीन संबंधों को फिर से सुदृढ़ करने के प्रयास के रूप में चिन्हित किया।  कुलपति ने कहा, “डोंगगुक विश्वविद्यालय और एनयू के बीच इस शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान से भविष्य में एक समावेशी ज्ञान-तंत्र विकसित होगा। नालंदा विश्वविद्यालय का एक प्रमुख उद्देश्य ज्ञान-मार्ग के माध्यम से भारत को दुनिया से जोड़ने में एक ‘सेतु‘ की भूमिका अदा करना है। यह समझौता ज्ञापन दक्षिण कोरिया और भारत के शिक्षाविदों के बीच सद्भाव बनाने और दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करेगा।”

डोंगगुक विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. युन जे-वूंग ने इस बात का उल्लेख किया कि नालंदा के नए अवतार के रूप में इस विश्वविद्यालय में एक बार फिर पुराने सभ्यतागत मूल्यों और ज्ञान के मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं। उनका कहना था कि नालंदा और डोंगगुक विश्वविद्यालय एक आपसी शैक्षणिक सहयोग को मजबूत बनाने की भावना से एक साथ आ रहे हैं। उन्होंने नालंदा में कोरियाई भाषा के विकसित रूप में पठन-पाठन हेतु सहायता का प्रस्ताव भी रखा।

प्रतिनिधिमंडल के लिए कैंपस भ्रमण की भी व्यवस्था की गई थी, जिसमें उन्हें नालंदा के नेट-जीरो कैंपस बनाने के प्रयास के बारे में बताया गया। प्रतिनिधिमंडल ने यहाँ के पर्यावरण और सौंदर्य निर्माण की सराहना की।

नालंदा विश्वविद्यालय और डोंगगुक विश्वविद्यालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर का विशेष महत्व है क्योंकि यह ऐसे समय में हो रहा है जब भारत और दक्षिण कोरिया के बीच राजनयिक संबंधों के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं।

सदियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर अपनी यात्रा शुरू करने के लिए तैयार है। वर्तमान में, एनयू में लगभग 31 देश के छात्र हैं जो यहाँ के 455 एकड़ में फैले जीवंत हरित परिसर में अध्ययनरत हैं। कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में प्राचीन नालंदा की तर्ज पर नालंदा विश्वविद्यालय एक बार फिर वैश्विक ज्ञान के सॉफ्ट-पावर के रूप में उभर रहा है।

26th January 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में मनाया गया 74वां गणतंत्र दिवस

” अदम्य इच्छाशक्ति एवं कार्य दक्षता का प्रतिक है नालंदा “: प्रो. सुनैना सिंह

नालंदा विश्वविद्यालय में आज भारत का 74वां गणतंत्र दिवस मनाया गया। कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने झंडोत्तोलन के साथ अपने सम्बोधन में भारत की ऐतिहासिक उपलब्धियों और एकीकृत सांस्कृतिक विशिष्टताओं को याद किया। नालंदा समुदाय को संबोधित करते हुए प्रो. सिंह ने जनहित की भावना के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत अपनी बहुआयामी सांस्कृतिक विविधता के साथ राष्ट्रवाद का एक दुर्लभ प्रारूप प्रस्तुत करता है। यह दिन आम लोगों की राष्ट्र के प्रति निष्ठा और समर्पण का समारोह भी है। प्राचीन नालंदा को एकीकृत वैश्विक मूल्यों और ज्ञान के प्रतीक के रूप में याद करते हुए उन्होंने कहा कि नालंदा-परंपरा को फिर से जीवंत करने से हम शांति और सद्भाव के मूल्यों को आत्मसात कर सकेंगे।

समग्र-शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, प्रो. सिंह ने कहा कि जैसे-जैसे नालंदा की नींव सुदृढ़ हो रही है, हमारा एक मत्त्वपूर्ण उद्देश्य छात्रों को शांति और सद्भाव के अग्रदूत के रूप में तैयार करना भी है। प्रोफेसर सिंह ने कहा, “नालंदा अदम्य इच्छाशक्ति एवं कार्य दक्षता का प्रतिक है।” उन्होंने वसंत पंचमी की शुभकामनाओं के साथ अपने संबोधन का समापन किया और देवी सरस्वती के प्रतीक की पूजा के महत्व को समझाया, जो ज्ञान, रचनात्मकता और निरंतर चिंतन को आख्यायित करता है।

विश्वविद्यालय में गणतंत्र दिवस समारोह में विभिन्न देशों के छात्रों द्वारा विविध सांस्कृतिक कार्यकर्म प्रस्तुत किए गए। शताब्दियों से नालंदा ने ज्ञान के प्रकाश स्तम्भ के रूप में पूरे एशिया के विद्वानों को आकर्षित किया है और कुलपति के कुशल नेतृत्व में वर्तमान नालंदा भी ज्ञान और संस्कृतियों के संगम के संस्थान के रूप में प्रतिष्ठित हो रहा है। लगभग एक सहस्राब्दी की प्रतीक्षा के बाद, एक बार फिर 30 से अधिक देशों के छात्र अब नालंदा के परिसर में अध्ययनरत हैं।

22nd January 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में मनाया गया वियतनाम का नववर्ष

नालंदा विश्वविद्यालय में कल शाम वियतनामी नववर्ष का उत्सव मनाया गया। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के मिनी ऑडिटोरियम में वियतनाम के छात्रों के द्वारा आयोजित किया गया था। छात्रों द्वारा सभागार को वियतनामी परंपरा में तैयार की गई सुंदर हस्तनिर्मित छवियों से सजाया गया था।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह कहा कि “नालंदा में इस तरह के आयोजन यहाँ के परिसर की सांस्कृतिक विविधता व बहुआयामी परंपरा को दर्शाते हैं। वैश्विक जीवनदृष्टि को आत्मसात करने की प्रवृति नालंदा परंपरा को विशिष्ट बनाती हैं”। प्रो. सिंह ने कार्यक्रम के समायोजन के लिए सभी छात्रों और इससे जुड़े लोगों को अपनी शुभकामनाएं प्रेषित की।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 30 से अधिक देशों के छात्रों और संस्कृतियों को एक मंच पर शामिल करना था। इस अवसर पर परिसर में अध्ययन कर रहे वियतनामी बौद्ध भिक्षुओं और भिक्षुणियों द्वारा पारंपरिक शैली में बौद्ध मंत्रों का पाठ भी किया गया। नालंदा के पीएचडी छात्र ली दिन्ह कुओंग ने बताया कि, “यह उत्सव एशिया की विभिन्न संस्कृतियों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।” परिसर में पढ़ने वाले वियतनामी छात्रों ने कुलपति और नालंदा समुदाय का इस कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम का समापन एक बौद्ध प्रार्थना के साथ हुआ जिसमें नए साल के लिए विश्व-शांति और सद्भाव का संदेश निहित था। उत्सव के अंत में सभी प्रतिभागियों को वियतनाम के पारंपरिक व्यंजनों के साथ सहभोज के लिए निमंत्रित किया गया।

12th January 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में पद्मभूषण पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के कार्यक्रम का आयोजन

“नालंदा का हरित परिसर और शैक्षणिक कार्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयों अनुकरणीय। ”
– डॉ सोनल मानसिंह

नालंदा विश्वविद्यालय में आज पद्मविभूषण और पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना और सांसद डॉ. सोनल मानसिंह का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कुलपति के निमंत्रण पर उनका आगमन विश्वविद्यालय हुआ और सुषमा स्वराज ऑडिटोरियम में “द रोल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स (म्यूजिक एंड डांस) इन शेपिंग इंडियन कॉन्शसनेस” शीर्षक से उन्होंने एक व्याख्यान दिया। उनके साथ आए शिष्यों ने “शिव-शक्ति” व “कालिया दमन” पर आधारित नृत्य प्रस्तुति दी। यह कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्सा था।

डॉ. सोनल मानसिंह ने कहा कि “उन्हे नालंदा भ्रमण की लंबे समय से प्रतीक्षा थी जो आज पूरी हुई “। शिक्षा और संस्कृति की इस पावन भूमि के गौरवशाली अतीत और सभ्यतागत संबंधों को याद करते उन्होंने विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की सराहना की। नालंदा के हरित परिसर और शैक्षणिक कार्यक्रमों से प्रभावित होकर उन्होंने विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार में कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि ” भविष्य में नालंदा का हरित परिसर और शैक्षणिक कार्यक्रम अन्य विश्वविद्यालयों अनुकरणीय होगा ।”

माननीय कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने अपनी अध्यक्षीय अभी भाषण में कहा, “सदियों से नालंदा ज्ञान का प्रतीक रहा है जिसने विद्वानों को आकर्षित किया।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि “शास्त्रीय प्रदर्शन कलाएँ हजारों वर्षों से इस देश का हिस्सा रही हैं। वर्तमान नालंदा भी अपने छात्रों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं। आज की दुनिया में कला का मानवीय प्रभाव सबसे महत्वपूर्ण है।“

विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले लगभग 32 देशों के छात्र इस कार्यक्रम के साक्षी बने। कलाओं के सूक्ष्म पहलुओं को व्याख्यायित करने वाले डॉ. सोनल मानसिंह के व्याख्यान और नृत्य को दर्शकों ने खूब सराहा।

11th January 2023 : नालंदा विश्वविद्यालय में पद्मभूषण पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह के कार्यक्रम का आयोजन

नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति के आमंत्रण पर पद्मभूषण और पद्मविभूषण से सम्मानित विख्यात नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह का आगमन सुनिश्चित हुआ है। वह कल शाम 4.30 बजे विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज ऑडिटोरियम में “भारतीय मानस के विकास में कला की भूमिका” के विषय पर व्याख्यान देंगी। व्याख्यान के बाद उनके निर्देशन में साथ आये हुए कलाकारों द्वारा एक शास्त्रीय नृत्य का प्रदर्शन भी होगा।  कार्यक्रम का उद्देश्य नालंदा के छात्रों को भारत की कलाओं की समृद्धि से परिचित कराना है। यह कार्यक्रम आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला का हिस्सा है।

आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए, माननीय कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने कहा, “आज के समय में कला के मानवीय पक्ष व प्रभाव को दर्शाना महत्वपूर्ण हो गया है। नालंदा विश्वविद्यालय अपने छात्रों के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। शास्त्रीय कला हमें सभ्य बनाती हैं एवं बेहतर व्यक्तित्व विकास में उनका योगदान होता है।”

नालंदा विश्वविद्यालय का एक उद्देश्य युवा पीढ़ी को भारतीय और विश्व के समृद्ध विरासत में सन्निहित अमूर्त, सूक्ष्म और प्रेरणास्पद पहलुओं का अनुभव कराते हुए शिक्षा की गुणवत्ता को समृद्ध करना है।

10th December 2022 : नालंदा विश्वविद्यालय के पर्यावरण-संरक्षण विधियों से प्रभावित हुआ नार्वे दूतावास से आया हुआ प्रतिनिधिमंडल 

नॉर्वेजियन दूतावास के काउंसलर और राजनीतिक अनुभाग की प्रमुख सुश्री बीट गेब्रियल्सन के नेतृत्व में पांच सदस्यीय नॉर्वे के प्रतिनिधिमंडल ने कल नालंदा विश्वविद्यालय के परिसर का भ्रमण किया। इस परिसर भ्रमण के दौरान नार्वे के राजनयिक, भारत के प्राचीन अध्ययन केंद्र नालंदा के गौरवशाली अतीत रूप व वर्तमान में हो रहे पुनरुद्धार से रू-ब-रू हुए। विश्वविद्यालय द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदम में गहरी रुचि लेते हुए प्रतिनिधिमंडल ने यहाँ के हरित परिसर को सुचारू रूप से संचालित करने के लिए कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने कहा कि “नालंदा विश्वविद्यालय की पुनर्स्थापना का एक महत्त्वपूर्ण उद्देश्य, ज्ञान-मार्ग के माध्यम से भारत को विश्व की विभिन्न सांसकृतिक परंपराओं को जोड़ने में एक ‘सेतु’ की भूमिका निभाना है। कुलपति ने प्रतिनिधिमंडल को बताया कि वर्तमान में 455 एकड़ में फैले हुए नालंदा के जीवंत हरित-परिसर में लगभग 31 देशों के छात्र अध्ययनरत हैं। कुलपति के अनुसार “नॉर्वेजियन विश्वविद्यालयों और नालंदा के बीच अकादमिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से हमारे द्विपक्षीय संबंध एवं समावेशी ज्ञानतंत्र सुदृढ़ हो सकते हैं”।

नार्वे के राजनयिकों ने विगत वर्षों में हुए विश्वविद्यालय की प्रगति देखी और यहाँ के विश्व स्तरीय परिसर में जल-संरक्षण एवं अपशिष्ट-प्रबंधन के लिए हो रहे प्रयासों की सराहना की। सुव्यवस्थित शैक्षणिक ढांचे और परिसर की हरितिमा की प्रशंसा करते हुए काउंसलर सुश्री गेब्रियलसन ने कहा कि “हम यहाँ के हरित परिसर व पर्यावरण-संरक्षण विधियों से अत्यंत प्रभावित हैं। भविष्य में भी नॉर्वे व नालंदा के पारस्परिक संबंध कायम रहें, इसके लिए हम प्रयासरत रहेंगे।”

प्राचीन भारतीय ज्ञान-प्रणाली से अनुप्राणित नालंदा विश्वविद्यालय, वर्तमान कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में एक भविष्य के मॉडल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो रहा है। शताब्दियों तक नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार पुनः अपनी यात्रा शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है।

07th December 2022 : नालंदा एवं इंडोनेशियाई विश्वविद्यालय के बीच शैक्षणिक साझेदारी की संभावना

नालंदा विश्वविद्यालय और जांबी विश्वविद्यालय, इंडोनेशिया आपस में शैक्षणिक सहयोग को कार्यान्वित करने पर विचार कर रहे हैं। आज नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह और जांबी विश्वविद्यालय के रेक्टर प्रो. एच. सुत्रिसनो के बीच हुई एक ऑनलाइन मीटिंग में विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों के साझेदारी की संभावना पर चर्चा हुई।

नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने कहा कि “एक अनुसंधान-केंद्रित विश्वविद्यालय होने के नाते हम पुरातत्व, इतिहास और पर्यटन पर आधारित एक अद्यतन शैक्षणिक संरचना विकसित करने की दिशा में काम कर सकते हैं – ये तीन आयाम हैं जो भारत और इंडोनेशिया की साझा सांस्कृतिक विरासत को जोड़ सकते हैं । हम जल्द ही इन विषयों पर जांबी विश्वविद्यालय के साथ शैक्षणिक सहयोग के संभावनाओं को तलाशेंगे।”

इस बैठक के दौरान शैक्षणिक अनुसंधान की गतिविधियों से संबंधित कई मुद्दों पर बातचीत हुई। अकादमिक सहयोग के अलावा जांबी विश्वविद्यालय ने भारतीय ज्ञान-परंपरा के स्वदेशी स्रोतों की खोज में भी रुचि दिखाई।

1963 में स्थापित, जांबी विश्वविद्यालय, आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटी (AINU) का सदस्य भी है। यह विश्वविद्यालय इंडोनेशिया के जांबी शहर में स्थित उच्च शिक्षा का एक प्रतिष्ठित संस्थान है।

1st December 2022 : ‘जी-20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट प्रोग्राम’ में नालंदा विश्वविद्यालय की रहेगी सहभागिता

आज भारत के G20 अध्यक्षता ग्रहण के उपलक्ष्य में आयोजित ‘G20 यूनिवर्सिटी कनेक्ट-एंगेजिंग यंग माइंड्स’ कार्यक्रम में भाग लेने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय को आमंत्रित किया गया था। यह कार्यक्रम विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर की गरिमामय उपस्थिति में नई दिल्ली में सुषमा स्वराज भवन से ऑनलाइन संचालित हुआ। कार्यक्रम में देश के 75 विश्वविद्यालयों के 1200 से अधिक छात्रों एवं कुलपतियों की उपस्थिति रही।

कार्यक्रम में आयोजित परिचर्चा-सत्र में नालंदा विश्वविद्यालय ने सक्रिय रूप से भाग लिया। विश्वविद्यालय की छात्रा अक्षया आकृति के प्रश्न को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर ने कहा कि आज की ध्रुवीकृत दुनिया में जी20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की एक बड़ी प्रतिबद्धता ‘ग्लोबल साउथ’ की चिंताओं को सामने लाना है। नालंदा के शोध छात्र आजाद हिंद द्वारा पूछे गए एक अन्य प्रश्न को संबोधित करते हुए जी20 सचिवालय के ऑपराशन हेड, राजदूत मुकेश परदेशी ने कहा, “यूनिवर्सिटी-कनेक्ट के माध्यम से जी20 में नालंदा विश्वविद्यालय की सहभागिता और वहां के छात्रों एवं प्राध्यापकों के साथ सम्मिलित कार्यक्रम आयोजित करने की योजना हो भी सकती है “।

आज के आयोजित कार्यक्रम पर अपने विचार रखते हुए नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के दृष्टिकोण का संदर्भ देते हुए कहा कि , ” नालंदा 800 से अधिक वर्षों से सार्वभौमिक एकता और एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी नालंदा विश्वविद्यालय अपने शैक्षणिक माध्यम से वैश्विक स्तर पर शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।”

13th November 2022 : नालंदा विश्वविद्यालय में पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और हैदराबाद विश्वविद्यालय के चांसलर श्री एल नरसिम्हा रेड्डी का विशिष्ट व्याख्यान

पटना उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री एल नरसिम्हा रेड्डी ने इस गुरुवार (10-11-2022) नालंदा विश्वविद्यालय में विशिष्ट व्याख्यान दिया। उन्होंने इस अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की वृद्धि और त्वरित विकास के लिए कुलपति की सराहना की। ‘कानून, न्याय और शिक्षा’ पर उनके विद्वतापूर्ण व्याख्यान से विश्वविद्यालय के छात्र और शिक्षक लाभान्वित हुए।

न्यायमूर्ति श्री नरसिम्हा रेड्डी ने अपने सम्बोधन में कहा कि “सम्यक शिक्षा के माध्यम से ही कानून और न्याय के वास्तविक मूल्यों को समझा जा सकता है”। न्याय की आधुनिक अवधारणा का निर्माण करने वाली स्वदेशी स्त्रोतों का उल्लेख करते हुए उन्होंने वेद और न्याय शास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों का उल्लेख किया। उन्होंने प्राच्य परंपरा के इन ग्रंथों की अवधारणाओं का ग्रीक और रोमन न्याय सिद्धांतों के साथ तुलनात्मक विवरण भी प्रस्तुत किया। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि कानून एवं न्याय अपने संदर्भगत एवं सामयिक नैतिक मूल्यों पर आधारित होते हैं।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने नालंदा के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए बौद्धिक साधनों के माध्यम से सद्भाव बनाने के महत्त्व को रेखांकित किया। कुलपति ने कहा की “शिक्षा के माध्यम से सूचनाओं एवं तथ्यों का ज्ञान में रूपांतरण न्याय के लिए आवश्यक है। शिक्षा हमें मिथ्या धारणाओं से मुक्त करती है और संवैधानिक नियमों का सम्मान करना सिखाती है।”

नालंदा विश्वविद्यालय की शैक्षणिक संकल्पना की प्रशंसा करते हुए न्यायमूर्ति रेड्डी ने कुलपति को बधाई दी और वर्तमान नालंदा में प्राचीन ज्ञान परंपराओं के पुनरुद्धार के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। शताब्दियों से नालंदा एशियाई ज्ञान का प्रतीक रहा है। विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में एक बार फिर अपनी ज्ञान-यात्रा को शुरू करने के लिए तैयार हो रहा है।

1st November 2022 : रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता जल संरक्षणविद् राजेंद्र सिंह ने नालंदा विश्वविद्यालय का किया दौरा: नालंदा विश्वविद्यालय के जल-संरक्षण से हुए प्रभावित

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित जल संरक्षणविद राजेंद्र सिंह ने बीते शनिवार (दिनांक: 29-10-2022) को नालंदा विश्वविद्यालय परिसर का दौरा किया। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से उनके लिए कैंपस भ्रमण की व्यवस्था की गई थी जिसके दौरान उन्हे नालंदा को नेट-जीरो परिसर बनाने के प्रयासों एवं यहाँ की जल-प्रबंधन प्रणाली से अवगत कराया गया।

परिसर भ्रमण के दौरान श्री सिंह विश्वविद्यालय की हरीतिमा एवं प्रगति से प्रभावित हुए। उन्होंने जल-प्रबंधन एवं पर्यावरण संरक्षण की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों के लिए कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के दूरदृष्टि की सराहना की।

प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली से अनुप्राणित नालंदा विश्वविद्यालय में नेट-जीरो की परिकल्पना को साकार करते हुए इस परिसर को एक बड़े एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। अपनी यात्रा के दौरान श्री सिंह ने यहाँ के ऊर्जा प्रबंधन, अपशिष्ट नियंत्रण और विशेष रूप से जल संरक्षण में प्रयुक्त स्वदेशी तकनीकों की सराहना की।

नालंदा विश्वविद्यालय एक प्रभावी जल प्रबंधन और जैव विविधता के साथ नेट-शून्य परिसर की कल्पना को साकार करने वाले विश्व के चुनिंदा शिक्षा संस्थानों में से एक है। प्राचीन नालंदा की तरह इस विश्वविद्यालय के एक विस्तृत भूभाग में कई सरोवर स्थित हैं। 40 हेक्टेयर में फैले हुए ये जल निकाय स्वदेशी जल-संचयन विधियों से संचालित होते हैं। विश्वविद्यालय में अभी लगभग 31 देशों के छात्र हैं जो इसके 455 एकड़ के हरित आवासीय परिसर में अध्ययनरत हैं। कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के कुशल नेतृत्व में नालंदा भविष्य के मॉडल विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो रहा है।

14th October 2022: नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम: बनारस घराना के संगीतज्ञ पं. रितेश एवं पं. रजनीश मिश्रा के भावपूर्ण गायन से छात्र हुए मंत्रमुग्ध

img

माननीय कुलपति के आमंत्रण पर आए बनारस घराने के प्रसिद्ध गायक पंडित रितेश मिश्र एवं पंडित रजनीश मिश्र का आयोजन आज शाम नालंदा विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में सम्पन्न हुआ। आज़ादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत आयोजित हुए इस भाव विभोर कर देने वाले सांगीतिक कार्यक्रम का आरंभ राग मुल्तानी की बंदिश ‘बगिया में दमके॥ ॥ से हुआ। यह रचना मध्य ताल फिर द्रुत लय तीन ताल में निबंध थी। तबले पर कौशिक कंवर की लायकारी तथा हारमोनियम पर जाकिर धौलपुरी की सुमधुर सरगम की संगत से श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत आलापचारी के साथ की और उसके बाद बनारस घराने की गायकी का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। कार्यक्रम का समापन उन्होंने भजन से किया। विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले करीब 32 देशों के छात्रों इस कार्यक्रम के सहभागी हुए ।

इस कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए, माननीय कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय अपने छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए प्रतिबद्ध है जिसमें सांस्कृतिक और कलात्मक रचनात्मकता भी शामिल है। ऐसे कार्यक्रम छात्रों के बीच कलात्मक क्षमता को विकसित करने और उन्हे परिष्कृत करने के लिए एक अवसर प्रदान करते हैं। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को भारतीय संस्कृति और विरासत से जुडने में भी सहायक होगा।“

यह कार्यक्रम नालंदा विश्वविद्यालय के स्पिक मैके चैप्टर द्वारा आयोजित किया गया था। स्पिक मेके (सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग यूथ) की स्थापना 1977 में आईआईटी दिल्ली के पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर किरण सेठ के द्वारा भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और युवाओं को प्रेरणा देकर शैक्षिक गुणवत्ता को समृद्ध करने के उद्देश्य से की गई थी।

कार्यक्रम के अंत में भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से रूबरू होने का अवसर प्रदान करने के लिए छात्रों ने कुलपति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। नालंदा विश्वविद्यालय का एक दायित्व युवा पीढ़ी को समेकित दिशा देना और उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता की ओर प्रेरित करना है। शास्त्रीय संगीत का यह कार्यक्रम छात्रों को भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में सन्निहित अमूर्त, सूक्ष्म और प्रेरणास्पद पहलुओं का अनुभव करने के लिए प्रेरित करेगा।

30th August 2022: विदेश राज्य मंत्री द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के प्रयासों की सराहना: जकार्ता में आयोजित हुआ एआईएनयू उद्घाटन समारोह

आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटी (एआईएनयू) के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने नालंदा विश्वविद्यालय के प्रयासों को अभूतपूर्व बताया। अपने सम्बोधन में माननीय राज्य मंत्री ने कहा “मैं नालंदा विश्वविद्यालय के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूँ । हमारे प्रधानमंत्री के इच्छा-अनुरूप आसियान देशों और भारत के शिक्षण संस्थानों के बीच शैक्षणिक साझेदारी को कार्यान्वित करने की दिशा में इस विश्वविद्यालय की भूमिका अहम है ।”

आसियान-भारत संबंध के 30 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में जकार्ता में कल आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटी (एआईएनयू) का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में अपने सम्बोधन में नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि ” एआईएनयू के नोडल संस्थान के रूप में नालंदा एशियाई देशों के संबंध व पारस्परिक सहयोग के कार्यान्वयन हेतु सक्रिय भूमिका निभा रहा है। वैश्विक शिक्षण संस्थान के प्रतीक के रूप में नालंदा ने 800 वर्षों तक प्राचीन एशियाई ज्ञान-परंपरा का प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान में भी नालंदा के माध्यम से दक्षिण पूर्व एशिया के देशों और भारत के बीच सदियों पुराने सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को राजनयिक माध्यम से सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है। इन प्रयासों से एशियाई देशों के साथ हमारे संबंध मजबूत होंगे और शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने की दिशा में आपसी प्रतिबद्धता भी विकसित होगी ।” कुलपति ने नालंदा के पुर्नर्निर्माण को ऐतिहासिक घटना बताते हुए कहा कि “लगभग एक सहस्राब्दी के बाद नालंदा का पुनरुद्धार हुआ है और अपने नए अवतार में नालंदा फिर से स्थापित हो रहा है। नालंदा का उद्देश्य ज्ञान के माध्यम से वैश्विक शांति और सहयोग को बढ़ावा देना है। ”

कुलपति के संबोधन के पश्चात आसियान महासचिव लिम जॉक होई ने भारत द्वारा आसियान देशों के प्रति निरंतर सहयोग और समर्थन के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “मुझे प्रसन्नता है कि आसियान-भारत नेटवर्क के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार पर पारस्परिक सहयोग हेतु एक साझा मंच तैयार हो रहा है … मैं नालंदा विश्वविद्यालय में दक्षिण पूर्व देशों के अध्ययनरत छात्रों के लिए मास्टर्स और पीएचडी कार्यक्रमों में छात्रवृत्ति की संख्या बढ़ाने के लिए भारत का आभार व्यक्त करता हूँ।”

एआईएनयू के नोडल संस्थान के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय आसियान देशों के विश्वविद्यालयों को भारत के उत्कृष्ट शैक्षणिक संस्थानों को जोड़ने व पारस्परिक सहयोग के अवसर प्रदान करने की दिशा में कार्यरत है । एआईएनयू के माध्यम से एक साझा संसाधन-केंद्र के निर्माण सहित कई अन्य पहल किए जा रहे हैं। इससे भारत और आसियान देशों के बीच पारस्परिक कौशल-क्षमता तथा अद्यतन तकनीक की जानकारी के आदान-प्रदान के अवसर उपलब्ध तो होंगे ही साथ ही आसियान देशों की नई पीढ़ी को भारत के प्राचीन मूल्यों को समझने व आत्मसात करने की क्षमता भी विकसित होगी।

16th August 2022: नालंदा विश्वविद्यालय ने मनाई भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ

” भारत की समावेशी संस्कृति का प्रतीक है नालंदा”: प्रो. सुनैना सिंह

नालंदा विश्वविद्यालय में भारत के स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के कार्यक्रम हर्ष और उल्लास के साथ सम्पन्न हुए। इस अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष तथा मातृभूमि की रक्षा हेतु उनके त्याग और बलिदान को याद किया। अपने संदेश में प्रो. सिंह ने राष्ट्रनिर्माण की दिशा में आपसी शांति और सद्भाव के महत्व को भी रेखांकित किया।

प्राचीन नालंदा को “ज्ञान और विज्ञान का मंदिर” के रूप में याद करते हुए प्रो. सिंह ने कहा, “नालंदा भारत की समावेशी संस्कृति का प्रतीक है। नालंदा की ज्ञान-प्रणालियों में एक अनुशासन जीवन-पद्धति भी अंतर्निहित है। उन्होंने कहा कि “नालंदा का फिर से अस्तित्व में आना वस्तुतः वर्तमान संदर्भ में भारत-भूमि पर एक बार फिर विभिन्न देशों की संस्कृतियों के संगम को जीवंत करना है। वैश्विक जीवन-दृष्टि और बहुआयामी ज्ञान-परंपराओं को आत्मसात करने को बढ़ावा देने की प्रवृति नालंदा परंपरा को विशिष्ट बनाती हैं ।”

राजगीर में स्थित इस विश्वविद्यालय के सुरम्य परिसर में स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन हुआ। भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों ने विभिन्न देशों के वैविध्यपूर्ण सांस्कृतिक कार्यकर्म और देशभक्ति गीतों से उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में स्वतंत्रता सेनानियों की वीरता और भारत के महापुरुषों की जीवन गाथाओं का भी स्मरण किया गया।

कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में मास्टर्स प्रोग्राम, डॉक्टरेट और अन्य अनुसंधान के साथ विभिन्न अल्पकालिक कार्यक्रम संचालित हो रहे हैं। पिछले चार वर्षों में एक नए शैक्षणिक ढांचे की परिकल्पना के साथ ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध इस विश्वविद्यालय की नीव सुदृढ़ करने के लिए कई प्रयास शुरू किए गए हैं। नालंदा का यह नया अवतार अपने प्राचीन पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक संदर्भ में स्थापित करने व सामंजस्य पूर्ण बनाने में प्रयासरत है।

27th June 2022: नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति ने लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय, नेपाल के दीक्षांत समारोह को किया संबोधित

नेपाल के लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सुनैना सिंह को अपने दूसरे दीक्षांत समारोह (२४ जून २०२२) को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था। अपने यात्रा के दौरान कुलपति प्रो.सुनैना सिंह ने नेपाल के प्रधान मंत्री, श्री शेर बहादुर देउबा, जो लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं, के साथ दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए चर्चा की। उन्होंने नेपाल सरकार के शिक्षा मंत्री श्री देवेंद्र पौडेल शिक्षा के साथ भी भेंट-वार्ता की।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रो. सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत और नेपाल ऐसे दो एशियाई देश हैं जिनका बुद्ध के जीवन से सीधा संबंध है। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए नेपाल और भारत की साझी सांस्कृतिक विरासत, जीवन मूल्यों को समृद्ध करने के लिए इन दोनों देशों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया।

कुलपति प्रो. सिंह ने नालंदा विश्वविद्यालय और लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय के बीच अकादमिक सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (मेमरैन्डम ऑफ अन्डर्स्टैन्डिंग) पर भी हस्ताक्षर किया। नालंदा विश्वविद्यालय और लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय ने आपसी शैक्षणिक सहयोग और शिक्षा और अनुसंधान के माध्यम से दोनों देशों द्वारा साझा किए गए सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

नेपाल सरकार द्वारा स्थापित, लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय भगवान बुद्ध के जन्मस्थान के समीप नेपाल के रूपन्देही जिले में स्थित है। लुंबिनी बौद्ध विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य बौद्ध मूल्यों के माध्यम से वैश्विक शिक्षा को समृद्ध करने और विश्व शांति को बढ़ावा देना है।

नालंदा विश्वविद्यालय भविष्य के एक विश्वविद्यालय के रूप में विकसित हो रहा है, जो एक मजबूत शैक्षणिक नींव और बुनियादी ढांचे को स्थापित करने में महत्वपूर्ण पहल कर रहा है। कुलपति के दूरदर्शी नेतृत्व में, विश्वविद्यालय खोई हुई ज्ञान परंपराओं को पुनः प्राप्त कर रहा है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से छात्रों को आकर्षित करते हुए उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में उभर रहा है।

21st June 2022: नालंदा विश्वविद्यालय ने मनाया 8वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

नालंदा विश्वविद्यालय परिसर में दिनांक 21 जून 2022 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी के साथ 8वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया। समारोह का आरंभ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के मैसूर में हो रहे संबोधन की लाइव स्ट्रीमिंग के साथ शुरू हुआ। इसके बाद कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने योग के अर्थ पर प्रकाश डालते हुए कुलपति ने महर्षि पतञ्जलि के योग सूत्र का उल्लेख करते बताया कि योग का अभ्यास ” चित्तवृत्ती का निरोध” है। इसके द्वारा मन, शरीर और आत्मा की सामंजस्यता और व्यक्तित्व के पहलुओं में संतुलन स्थापित किया जा सकता है। वर्तमान समय में योग के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “एक अनुशासन के रूप में योग शारीरिक स्वास्थय  के साथ-साथ हमारे अंदर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों का भी संचार करता है।”

कुलपति के संबोधन के पश्चात आसन और प्राणायाम के अभ्यास सत्र का आयोजन किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के प्राध्यापक, प्रशासनिक कर्मचारी और विद्यार्थि उत्साह के साथ सम्मिलित हुए और  विभिन्न आसान और ध्यान का अभ्यास किया। योग-सत्र का आयोजन आयुष मंत्रालय और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया गया था।

नालंदा विश्वविद्यालय में योग और ध्यान पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग हैं। योग और ध्यान पर अल्पावधि कार्यक्रम शुरू किए जा चुके हैं और छात्र इससे लाभान्वित हो रहे हैं। कुलपति के निर्देशन  में नालंदा विश्वविद्यालय में एक नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही है। ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय का यह नया अवतार खोई हुई ज्ञान परंपराओं को पुनः प्राप्त करने में प्रयासरत है और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से छात्रों को आकर्षित करते हुए उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में उभर रहा है।

06th June 2022: विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर नालंदा विश्वविद्यालय में सामूहिक वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन

नालंदा विश्वविद्यालय में पर्यावरण सप्ताह समारोह सम्पन्न

नालंदा विश्वविद्यालय में 1 जून से चल रहे पर्यावरण सप्ताह समारोह कल सम्पन्न हुआ। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर इस समारोह का समापन वृक्षारोपण अभियान के साथ हुआ। कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के साथ प्राध्यापकों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों और छात्रों ने इस समारोह में सक्रिय रूप से भाग लिया। सप्ताह भर चले इस आयोजन के अंतर्गत कई चिंतन सत्र, विश्वविद्यालय परिसर का भ्रमण, सामूहिक वृक्षारोपण अभियान जैसे अनेक कार्यक्रम संपन्न हुए।

समापन दिवस के अवसर पर आयोजित चिंतन-सत्र में पृथ्वी की जीवन प्रणाली को बनाए रखने में वनस्पतियों और जैव-विविधता के महत्व पर प्रकाश डाला गया। समारोह के अंतर्गत पेंटिंग और फोटोग्राफी प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ जिसमें प्रतिभागियों ने अपनी कला के माध्यम से विश्वविद्यालय परिसर की जीवंत हरित विविधता को दर्शाया।

नालंदा विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में नेट- जीरो परिसर की कल्पना को साकार करने वाले विश्व के कुछ अग्रणी शिक्षा संस्थानों में से एक है। यहाँ जैव-विविधता, जल संरक्षण प्रणाली एवं अपशिष्ट प्रबंधन को प्रभावी रूप से कार्यान्वित किया जा रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय एक हरित और समेकित जीवन शैली की दिशा में एक अनुकरणीय मार्ग प्रशस्त कर रहा है। विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रयास माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रभावी रूप से योगदान दे रहे हैं।

नालंदा विश्वविद्यालय नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों के माध्यम से पर्यावरण परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। यह परिसर 6.5 मेगावाट की क्षमता वाले सौर ऊर्जा संयंत्र के साथ-साथ अपशिष्ट से ऊर्जा रूपांतरण प्रणाली की तकनीक से लैस भी है। कुलपति प्रो. सुनैना सिंह कहती हैं, “कार्बन-न्यूट्रल ज़ोन और नेट-ज़रो कैंपस बनाने में प्रयुक्त नवाचार द्वारा हम नालंदा को अनुकरण योग्य आदर्श मॉडल के रूप में विकसित कर रहे हैं ।”

मई 2017 से कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने विश्वविद्यालय को हरित परिसर के रूप में विकसित करने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया है। उनके प्रयासों से विश्वविद्यालय की 455 एकड़ की भूमि को दुनिया के एक बड़े हरित परिसरों में रूपांतरित किया जा रहा है।

05th June 2022: नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित हो रहा पर्यावरण सप्ताह समारोह

” मानव अस्तित्व के मूल में है पर्यावरण संतुलन ”

– प्रो. सुनैना सिंह, कुलपति

नालंदा विश्वविद्यालय में 1 से 5 जून 2022 तक विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण-सप्ताह का आयोजन हो रहा है। माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कल (1 जून) वृक्षारोपण कर इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रो.सुनैना सिंह ने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय विश्व के कुछ अग्रणी उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है जहां नेट-शून्य परिसर की परिकल्पना साकार हो रही है। पारिस्थिकी संतुलन हमारे अस्तित्व के मूल में है। प्रभावी नूतन-प्रयोगों के माध्यम से हम विश्वविद्यालय परिसर को कार्बन-न्यूट्रल ज़ोन बनाने मे प्रयासरत हैं । नालंदा का नेट-ज़ीरो कैंपस अन्य संस्थानों द्वारा अनुकरण करने योग्य एक रोल मॉडल के रूप में विकसित हो रहा है।”

कुलपति के उद्घाटन वक्तव्य के उपरांत एक विचार-गोष्ठी सत्र का आयोजन किया गया। इस चर्चा-सत्र में विद्यार्थियों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय के अन्य कर्मियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। चर्चा सत्र के प्रतिभागियों ने विश्वविद्यालय परिसर को स्वच्छ रखने और एक संतुलित जीवन शैली अपनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।

इस सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के अंतर्गत प्रतिभागियों को सौर-ऊर्जा के संयंत्रों परिसर- भ्रमण के लिए भी के लिए निर्देशित क्षेत्र का शामिल है। परिसर में नेट-जीरो पहल पर कुछ ऑडियो-विजुअल प्रस्तुतियां होंगी। एक हरे भरे परिसर के रूप में नालंदा के विषय पर एक परिसर वृक्षारोपण अभियान और एक फोटोग्राफी प्रतियोगिता की भी योजना बनाई गई है। इन आयोजनों से नालंदा विश्वविद्यालय समुदाय के बीच नेट-शून्य पहल के बारे में जागरूकता पैदा होने की उम्मीद है।

हाल ही में यूएसए में इंडो अमेरिकन ग्रीन यूनिवर्सिटी नेटवर्क ने न्यूयॉर्क, यूएस में आयोजित एक समारोह में वीसी प्रो. सुनैना सिंह को “लीडरशिप फॉर नेट जीरो एंडेवर अवार्ड-2022” से सम्मानित किया। एक अनुकरणीय नेट ज़ीरो और कार्बन फुटप्रिंट-मुक्त हरित परिसर के निर्माण के लिए प्रशंसा है, जिसमें आदर्श ऊर्जा और जल संसाधन प्रबंधन है। इस परिसर को GHRIHA परिषद द्वारा भी पांच सितारा स्थान दिया गया है।

नालंदा विश्वविद्यालय ने एक प्रभावी जल प्रबंधन प्रणाली, ऊर्जा संरक्षण और जैव-विविधता के संरक्षण के साथ नेट-शून्य परिसर की कल्पना करने वाले कुछ अग्रणी उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है। विश्वविद्यालय लगभग 455 एकड़ भूमि स्थान को कवर करता है जिसे सबसे बड़े हरित परिसरों में से एक में बदल दिया गया है, जहां 200 संरचनाएं, जिसमें 40 जल निकाय शामिल हैं, जो स्वदेशी जल संचयन विधियों से पोषित हैं। एनयू को कुलपति प्रो सुनैना सिंह के नेतृत्व में एक जीवंत हरित परिसर के साथ एक मॉडल भविष्य विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया जा रहा है।

प्रो सिंह के नेतृत्व में नालंदा के नव-निर्माण की परिकल्पना साकार हो रही है, जिसकी बुनियाद में एक सुदृढ़ शैक्षणिक व्यवस्था और अत्याधुनिक स्थापत्य संरचना के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है। विश्वविद्यालय भारत की विलुप्त ज्ञान परंपराओं के पुनर्सृजन में प्रयासरत है और दुनिया के विभिन्न देशों से छात्रों को आकर्षित करते हुए एक उत्कृष्ट शैक्षणिक केंद्र के रूप में उभर रहा है।

जो लगभग 455 एकड़ भूमि में विस्तृत है, विश्व के सबसे बड़े हरित परिसरों में से एक है जिसमें 200 वास्तु संरचनाएं एवं 40 जल स्त्रोत शामिल हैं। निर्माण संरचनाओं में अत्याधुनिक DEVAP एयर कंडीशनिंग का प्रयोग किया गया है। सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक भवन वास्तुकला जो कंप्रेस्ड ईंट से निर्मित हैं।

कुलपतिप्रोफेसर सिंह के अनुसार, “नालंदा विश्वविद्यालय में सफलता पूर्वक प्रभावी कार्बन-न्यूट्रल कैंपस की परिकल्पना साकार हो रही है.. ये पुरस्कार नालंदा को हरित परिसर के रूप में विकसित करने की हमारी प्रतिबद्धता का सम्मान है.. ऐसे सम्मानों द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुत्थान के महत्व की पुष्टि होती है ।”

02nd June 2022: नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित हो रहा है पर्यावरण दिवस सप्ताह समारोह

” मानव अस्तित्व के मूल में है पर्यावरण संतुलन “

– प्रो. सुनैना सिंह, कुलपति

 

नालंदा विश्वविद्यालय में 1 से 5 जून 2022 तक पर्यावरण-सप्ताह समारोह का आयोजन हो रहा है। माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कल (1 जून) वृक्षारोपण कर इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए प्रो.सुनैना सिंह ने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय विश्व के कुछ अग्रणी उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है जहां नेट-शून्य परिसर की परिकल्पना साकार हो रही है। पारिस्थिकी संतुलन हमारे अस्तित्व के मूल में है। प्रभावी नूतन-प्रयोगों के माध्यम से हम विश्वविद्यालय परिसर को कार्बन-न्यूट्रल ज़ोन बनाने मे प्रयासरत हैं । नालंदा का नेट-ज़ीरो कैंपस अन्य संस्थानों द्वारा अनुकरण करने योग्य एक रोल मॉडल के रूप में विकसित हो रहा है।”

कुलपति के उद्घाटन वक्तव्य के उपरांत एक विचार-गोष्ठी सत्र का आयोजन किया गया। इस चर्चा-सत्र में विद्यार्थियों, शिक्षकों और विश्वविद्यालय के अन्य कर्मियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। चर्चा-सत्र के प्रतिभागियों  ने विश्वविद्यालय परिसर को स्वच्छ रखने और एक संतुलित जीवन शैली अपनाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।

इस सप्ताह भर चलने वाले उत्सव के अंतर्गत प्रतिभागियों के लिए परिसर भ्रमण का आयोजन भी है जिसके तहत उन्हे सौर-ऊर्जा से संचालित संयंत्रों की जानकारी दी जाएगी तथा नेट-जीरो से संबंधित कुछ ऑडियो-विजुअल की प्रस्तुतियां होंगी। प्रतिभागियों के लिए परिसर में वृक्षारोपण अभियान और पर्यावरण केंद्रित फोटोग्राफी प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया है। इन आयोजनों के माध्यम से छात्रों व प्रतिभागियों के बीच विश्वविद्यालय के नेट-जीरो के पहल के प्रति जागरूकता पैदा की जाएगी।

ध्यातव्य है कि हाल ही में अमेरिका में इंडो अमेरिकन ग्रीन यूनिवर्सिटी नेटवर्क, न्यूयॉर्क द्वारा आयोजित में एक समारोह में कुलपति प्रो. सुनैना सिंह को “लीडरशिप फॉर नेट-जीरो एंडेवर अवार्ड” से सम्मानित किया। विश्वविद्यालय परिसर को ग्रीन कैंपस के रूप में विकसित करने के लिए डिस्ट्रिक्ट ग्रीन चैंपियन अवार्ड एवं GHRIHA परिषद द्वारा सर्वोच्य स्थान दिया गया है।

नालंदा विश्वविद्यालय प्रभावी जल एवं ऊर्जा प्रबंधन प्रणाली, जैव-विविधता संरक्षण और नेट-जीरो परिसर की कल्पना को साकार करने वाले कुछ अग्रणी उच्च शिक्षा संस्थानों में से एक है। 455 एकड़ भूमि में विस्तृत यह विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बड़े हरित परिसरों में से एक है जहां 200 वास्तु-संरचनाएं के साथ 40 जल स्त्रोत उपलब्ध हैं जो स्वदेशी जल-संचयन विधियों से संचालित होते हैं। कुलपति प्रो सुनैना सिंह के नेतृत्व में नालंदा के नव-निर्माण की परिकल्पना साकार हो रही है। विश्वविद्यालय को कार्बन न्यूट्रल कैंपस बनाने के साथ इसे एक जीवंत हरित परिसर मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

24th May 2022: नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति को मिला ‘एम्बेसडर ऑफ पीस' सम्मान

यूनिवर्सल पीस फेडरेशन (यूपीएफ) ने नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनैना सिंह को ‘एम्बेसडर ऑफ पीस’ के रूप में सम्मानित किया है। प्रो. सिंह को यह सम्मान नालंदा विश्वविद्यालय के माध्यम से वैश्विक शांति एवं आध्यात्मिक सह-अस्तित्व की स्थापना हेतु उनके सार्थक प्रयासों के लिए दिया गया है। सम्मान समारोह दिनांक 24 मई 2022 को कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली में आयोजित किया गया था।

‘एम्बेसडर ऑफ पीस’, यूपीएफ द्वारा 2001 में शुरू किया गया एक वैश्विक मंच है जिसके द्वारा देश-विदेश के अग्रणी व्यक्तित्व धर्म, नस्ल और राष्ट्रीयता की सीमाओं से परे पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देने प्रतिबद्ध हैं ।

प्रो. सिंह ने अपने संदेश में कहा, “आध्यात्मिक चेतना को मानवता का मार्गदर्शन करना चाहिए। सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व के बिना वैश्विक-शांति की स्थापना संभव नहीं। “। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वर्तमान संदर्भ में आपसी सहयोग और सह-अस्तित्व के माध्यमों को विकसित करने के अलावा वैश्विक शांति और सुरक्षा को सुरक्षित करने के लिए कोई अन्य सहज उपाय हमारे पास नहीं है।

प्रो. सिंह को हाल ही में यूनिवर्सल पीस फेडरेशन (UPF) द्वारा आयोजित इंटरनेशनल लीडरशिप कॉन्फ्रेंस को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह सम्मेलन “शांति और वैश्विक व्यवस्था के लिए समकालीन चुनौतियां” विषय पर केंद्रित था। प्रो. सिंह द्वारा संबोधित सत्र में प्रख्यात अंतर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व, श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति श्री मैत्रीपाला सिरिसेना, पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री श्री यूसुफ रज़ा गिलानी, कंबोडिया के नेशनल असेंबली उपाध्यक्ष श्री खुओन सुदरी और चीन के जीसीआर इंस्टिट्यूट के संस्थापक-अध्यक्ष प्रो. बो झियू सहभागी हुए।

यूनिवर्सल पीस फेडरेशन, संयुक्त राष्ट्र से सम्बद्ध व्यक्तियों और संगठनों का एक वैश्विक मंच है जो 150 से अधिक देशों में सक्रिय सदस्यों साथ विश्व में शांति की स्थापना के लिए समर्पित है।

ध्यातव्य है कि कुलपति प्रो सुनैना सिंह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित शिक्षाविद् और अंग्रेजी एवं तुलनात्मक संस्कृति व साहित्य की प्रोफेसर हैं। वह व्यापक रूप से अपनी विद्वता, सत्यनिष्ठा और शासन में उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता के लिए जानी जाती हैं। कुलपति की पहल पर नालंदा विश्वविद्यालय में पीस एण्ड कान्फ्लिक्ट रिसॉल्यूशसन सेंटर नाम से अनुसंधान केंद्र की स्थापना की गई है। प्रो सिंह के नेतृत्व में नालंदा के नव-निर्माण की परिकल्पना साकार हो रही है, जिसकी बुनियाद में एक सुदृढ़ शैक्षणिक व्यवस्था और अत्याधुनिक स्थापत्य संरचना के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की गई है। विश्वविद्यालय भारत की विलुप्त ज्ञान परंपराओं के पुनर्सृजन में प्रयासरत है और दुनिया के विभिन्न देशों से छात्रों को आकर्षित करते हुए एक उत्कृष्ट शैक्षणिक केंद्र के रूप में उभर रहा है।

6th May 2022 : नालंदा विश्वविद्यालय के नेतृत्व को अंतर्राष्ट्रीय सम्मान

प्राचीन भारत के गौरवशाली संस्था के नए अवतार के रूप में राजगीर स्थित नालंदा विश्वविद्यालय पिछले कुछ वर्षों में अपनी नई उपलब्धियों और विश्व स्तर पर पहचान बनाने के साथ अग्रसर हो रहा है। इसी पृष्ठभूमि में एक ‘संस्थान निर्माता’ के रूप में कुलपति प्रो सुनैना सिंह का कुशल नेतृत्व व उनकी रचनात्मक प्रतिभा को सम्मानित करते हुए हाल ही में अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम के विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने उन्हे दो वैश्विक पुरस्कारों से सम्मानित किया है।

अप्रैल 2022 में लंदन में आयोजित एशिया-यूरोप बिजनेस एंड सोशल फोरम समिट के 17वें सम्मेलन में कुलपति प्रो सुनैना सिंह को अकादमिक क्षेत्र में उनके योगदान और सेवा के लिए प्रतिष्ठित “ग्लोबल लीडर ऑफ द ईयर, 2021-22” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कुलपति प्रो. सिंह इस वर्ष शिक्षा के क्षेत्र में यह सम्मान पाने वाली भारत की एकमात्र महिला शिक्षाविद हैं।

नालंदा विश्वविद्यालय में 2017 के बाद कुलपति प्रो सिंह के नेतृत्व में वैश्विक मानकों के समकक्ष कई शैक्षणिक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की गई और नए सुविधाओं के साथ परिसर अपने अस्तित्व में आया। अध्ययन के 6 स्कूल और विशेष अनुसंधान हेतु 3 केंद्र स्थापित किए गए, जहां से पूर्णकालिक मास्टर्स डिग्री, ग्लोबल पीएचडी और शॉर्ट-टर्म प्रोग्राम संचालित हो रहे हैं। कुलपति के मार्गदर्शन में कैफेटेरिया मॉडल और अंतर्विषयक पाठ्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय छात्र-समुदाय के अनुकूल होने के साथ उनकी विशिष्ट विशेषज्ञता को तराशने व अंतर-अनुशासनात्मक शिक्षा के आयामों का विस्तार करने के लिए उपयोगी है। पाठ्यक्रम में नालंदा के प्राचीन भारतीय ज्ञान-परंपराओं और मूल्यों का समन्वय किया गया है। प्रोफेसर सिंह के अनुसार, “वर्तमान समय में नालंदा विश्व के विभिन्न देशों को ज्ञान-मार्ग से जोड़ने में एक ‘सेतु’ का कार्य करेगा।”

कोविड महामारी के संकट के दौरान भी नालंदा विश्वविद्यालय निर्बाध गति से कार्यरत रहा और शैक्षणिक सत्र अनलाइन माध्यम से सफलता पूर्वक संचालित हुए। अब पुनः नियमित रूप से विशिष्ट व्याख्यान माला, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और कार्यशाला जैसी गतिविधियां शुरू हो गई हैं। नवंबर 2021 में आयोजित “धर्म-धम्म सम्मेलन-2021” नालंदा विश्वविद्यालय द्वारा सफलता पूर्वक संचालित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम था जिसमें उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू, केन्द्रीय राज्य मंत्री श्रीमती मीनाक्षी लेखी, राज्यपाल श्री फागु चौहान, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जैसे उच्च गणमान्य व्यक्तियों की भागीदारी हुई। अन्य कार्यक्रमों के दौरान केन्द्रीय राज्य मंत्री डॉ. राजीव रंजन सिंह व विभिन्न देश के राजदूतों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने विश्वविद्यालय परिसर का दौरा किया।

विगत माह इंडो अमेरिकन ग्रीन यूनिवर्सिटी नेटवर्क ने न्यूयॉर्क में आयोजित एक समारोह में कुलपति प्रो. सुनैना सिंह को नेट ज़ीरो और कार्बन-फुटप्रिंट-मुक्त हरित परिसर के निर्माण के लिए “लीडरशिप फॉर नेट जीरो एंडेवर अवार्ड-2022” से सम्मानित किया। उन्हे GHRIHA परिषद द्वारा भी सम्मानित किया गया है।

नालंदा विश्वविद्यालय का परिसर लगभग पिछले 4 वर्षों में निर्मित हुआ है – 0.2% से 90% तक का निर्माण कार्य, जो लगभग 455 एकड़ भूमि में विस्तृत है, विश्व के सबसे बड़े हरित परिसरों में से एक है जिसमें 200 वास्तु संरचनाएं एवं 40 जल श्रोत शामिल हैं। निर्माण संरचनाओं में अत्याधुनिक DEVAP एयर कंडीशनिंग का प्रयोग किया गया है। सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक भवन वास्तुकला जो कंप्रेस्ड ईंट से निर्मित हैं। साथ ही, सर्वोत्तम इलेक्ट्रॉनिक सुविधाओं और अकादमिक ब्लॉक वाले विश्व स्तरीय क्लासरूम परिसर का गौरव हैं।

अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए उपलब्ध छात्रवृत्ति के कारण यहाँ आज 32 से अधिक देशों के छात्र अध्ययन रत हैं। कुलपतिप्रोफेसर सिंह के अनुसार, “नालंदा विश्वविद्यालय में सफलता पूर्वक प्रभावी कार्बन-न्यूट्रल कैंपस की परिकल्पना साकार हो रही है.. ये पुरस्कार नालंदा को हरित परिसर के रूप में विकसित करने की हमारी प्रतिबद्धता का सम्मान है.. ऐसे सम्मानों द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुत्थान के महत्व की पुष्टि होती है ।”

यह सर्वविदित है कि कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने व्यक्तिगत और सार्वजनिक क्षेत्रों में नए मानक स्थापित किए हैं। उन्होंने नवीन अनुसंधान केंद्रों की स्थापना व अकादमिक संस्कृति को पुनर्जीवित करनेके साथ प्रशासनिक पारदर्शिता लाने में एक अहम भूमिका निभाई है। कुलपति के निर्देशन  में नालंदा विश्वविद्यालय में एक नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही है। विगत वर्षों में हुए उत्तरोत्तर विकास से ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की आधारशिला सुदृढ़ हुई है।

26th April 2022 : नालंदा विश्वविद्यालय में ग्रैमी अवार्ड एवं पद्म भूषण से सम्मानित पं विश्व मोहन भट्ट का मोहन वीणा वादन

माननीय कुलपति के आमंत्रण पर पद्म भूषण और ग्रैमी अवार्ड से सम्मानित मोहन वीणा वादक पं. विश्व मोहन भट्ट ने आज दिनांक 26 अप्रैल को शाम 6 बजे नालंदा विश्वविद्यालय के सुषमा स्वराज सभागार में शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति दी। उन्होंने अपने कार्यक्रम की शुरुआत राग जोग के आलाप के साथ की और उसके बाद राग की तंत्रकारी और गायकी अंग को प्रस्तुत किया। यह कार्यक्रम नालंदा विश्वविद्यालय के स्पिक मैके चैप्टर और आजादी का अमृत महोत्सव समारोह के तहत आयोजित किया गया था। विश्वविद्यालय के स्पिक मेके चैप्टर द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में 32 देशों के छात्र सहभागी हुए।

कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए, माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कहा, “नालंदा विश्वविद्यालय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और कलात्मक रचनात्मकता जैसे सभी पहलुओं में अपने छात्रों के समग्र विकास की दिशा में प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। शास्त्रीय संगीत हमारे अंदरूनी भावों को स्पर्श करता हैं और हमें संवेदनशील बनाता है। ऐसे कार्यक्रम छात्रों के बीच कलात्मक क्षमता को विकसित करने और उन्हे परिष्कृत करने के लिए एक अवसर प्रदान करते हैं। यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को भारतीय संस्कृति और विरासत से जुडने में भी सहायक होगा।

नालंदा विश्वविद्यालय का एक दायित्व युवा पीढ़ी को समेकित दिशा देना और उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता की ओर प्रेरित करना है। शास्त्रीय संगीत का यह कार्यक्रम छात्रों को भारत के समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में सन्निहित अमूर्त, सूक्ष्म और प्रेरणास्पद पहलुओं का अनुभव करने के लिए प्रेरित करेगा।

स्पिक मेके (सोसाइटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग यूथ) की स्थापना 1977 में आईआईटी दिल्ली के पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित प्रोफेसर किरण सेठ के द्वारा भारतीय विरासत के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने और युवाओं को प्रेरणा देकर शैक्षिक गुणवत्ता को समृद्ध करने के उद्देश्य से की गई थी।

माननीय कुलपति के नेतृत्व में विगत वर्षों में हुए उत्तरोत्तर विकास से ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की आधारशिला सुदृढ़ हुई है। राष्ट्रीय महत्व के अंतर्राष्ट्रीय संस्थान के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय का यह आयोजन विभिन्न देश के छात्र छात्राओं को भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू होने का अवसर प्रदान करेगा।

26th March 2022: नालंदा विश्वविद्यालय आईसीसीआर के अध्यक्ष के स्वागत के लिए तैयार 

img
माननीय कुलपति के निमंत्रण पर आमंत्रित ‘भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद’ (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे का नालंदा विश्वविद्यालय में आगमन इस रविवार (27 मार्च, 2022) को सुनिश्चित है। राज्यसभा के सांसद डॉ. विनय सहस्रबुद्धे ने जुलाई 2016 से महाराष्ट्र राज्य का प्रतिनिधित्व किया है। जुलाई 2020 में डॉ सहस्रबुद्धे को मानव संसाधन विकास के लिए संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया था।

नालंदा आईसीसीआर अध्यक्ष का स्वागत करने के लिए पूरी तरह तैयार है। विश्वविद्यालय ने अपने मिनी ऑडिटोरियम में डॉ. विनय सहस्रबुद्धे के साथ शिक्षकों और छात्रों के संवाद की व्यवस्था की है। डॉ. विनय सहस्रबुद्धे के लिए एक विश्वविद्यालय-भ्रमण की योजना भी बनाई गई है जिसके दौरान उन्हें नालंदा के स्थायी नेट-जीरो कैंपस बनाने के प्रयास के बारे में बताया जाएगा।

डॉ विनय सहस्रबुद्धे के आगमन पर कुलपति, प्रो सुनैना सिंह, जो आईसीसीआर के पूर्व उपाध्यक्ष रह चुकी हैं, ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा और संस्कृति के सशक्त प्रतीक-स्तम्भ के रूप में उभर रहा है। आईसीसीआर का सहयोग नालंदा विश्वविद्यालय को सांस्कृतिक एवं विद्वत परंपरा के माध्यम से विभिन्न देशों के साथ भारत की अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक साझेदारी और पारस्परिक संबंध को सुदृढ़ करने में अहम भूमिका निभा सकता है।

आईसीसीआर, भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों और आपसी सहयोग के लिए कार्यरत है। वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय में 31 देशों के छात्र नामांकित हैं। अपने अनुभवों को साझा करते हुए एक वियतनामी छात्र, जिसने हाल ही में आईसीसीआर के सहयोग से विश्वविद्यालय में अपने अध्ययन को पूरा किया है, ने लिखा है, “मैं छात्रवृत्ति के लिए आईसीसीआर का बहुत आभारी हूं। इस छात्रवृत्ति ने मुझे नालंदा में अपना समय भारतीय-दर्शन की गहराई को समग्रता के साथ समझने और बौद्ध धर्म के साथ-साथ अन्य भारतीय परंपराओं के अध्ययन हेतु समर्पित करने में मदद की।”

प्राचीन भारतीय/एशियाई ज्ञान-परंपरा से प्रेरणा ले कर नालंदा एक अभिनव दृष्टिकोण के साथ वर्तमान युवा पीढ़ी का समेकित विकास कर उन्हें भविष्य के ज्ञान परंपरा के नेतृत्व की ओर प्रेरित करने में प्रयासरत है। माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में कई नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही हैं जो ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की आधारशिला को सुदृढ़ कर रही हैं। यह विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बड़े नेट जीरो परिसरों में से एक के रूप में उभर रहा है।

26th February 2022: 32 देश के विद्यार्थियों ने मनाया नालंदा विश्वविद्यालय में "आजादी का अमृत महोत्सव"

नालंदा विश्वविद्यालय में कल “आज़ादी का अमृत महोत्सव” समारोह श्रृंखला के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय में नामांकित 32 देशों के छात्र इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा थे। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत के गौरवशाली अतीत और देश में पिछले 75 वर्ष में हुई प्रगति को समर्पित इस आयोजन के माध्यम से नालंदा के छात्र भारत के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों से रूबरू हुए। समारोह का आयोजन नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्मित सभागार में हुआ।

माननीय कुलपति ने संभाषण में सभा को संबोधित करते हुए कहा, “भारत की अविच्छिन्न ज्ञान-परंपरा रही है। स्वतंत्रता का यह स्मरणोत्सव पांच हजार वर्षों से भी अधिक पुरानी उस ज्ञान-परंपरा का भी उत्सव है जिससे इस देश को अपनी एक विशिष्ट पहचान मिलती है। समस्त विश्व आज भारत की ओर एक आशा के साथ देखता है। भारत का आध्यात्मिक वैशिष्ट्य और वैविद्धयता के सह-अस्तित्व की भावना, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उपजी वैश्विक अस्थिरता और अनिश्चितता से उबरने में समस्त मानवता का मार्गदर्शन कर सकते हैं।”

माननीय कुलपति के उद्बोधन के बाद विख्यात भरतनाट्यम नृत्यांगना सुश्री सुदीपा घोष की प्रस्तुति हुई जो प्रसिद्ध गुजराती भजन ‘वैष्णव जन तो’ पर आधारित थी। उन्होंने धनश्री-तिलाना पर लयबद्ध एक कृष्ण-लीला पर भी नृत्य प्रस्तुति दी। इसके उपरांत विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय के छात्रों ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रख्यात पंजाबी कवयित्री अमृता प्रीतम की एक कविता ‘मेरी मां की कोख मजबूर थी’ पर ‘वर्ड लिटेरचर’ की छात्रा द्वारा एकल नाट्य प्रस्तुति से दर्शकों में स्वतंत्रता पूर्व भारत में संघर्ष की स्मृति जागृत हो उठी। बौद्ध धर्म दर्शन संकाय के छात्र द्वारा अहिरी राग में निबद्ध स्वामी त्यागराज की कर्नाटक संगीत शैली पर शास्त्रीय रचना की प्रस्तुति दी गई। विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे बौद्ध भिक्षुणियों और भिक्षुओं के समूह ने वियतनामी शैली में पारम्परिक वाद्य यंत्रों के साथ एक संस्कृत बौद्ध मंत्र का पाठ किया। छात्रों के प्रदर्शन में म्यांमार लोक नृत्य और सांप्रदायिक सद्भाव पर लघु-नाटक भी शामिल थे। इतिहास संकाय में अध्ययनरत थाईलैंड, कंबोडिया, इंडोनेशिया और भूटान के छात्रों से प्रदर्शनों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 32 देशों के विद्यार्थियों और संस्कृतियों को एक मंच पर शामिल करना था। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग टीम ने ‘नेट-जीरो’ पर प्रेजेंटेशन के माध्यम से इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि किस प्रकार नालंदा दुनिया के सबसे बड़े नेट जीरो परिसरों में से एक के रूप में उभर रहा है। विगत चार वर्षों से माननीय कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकाय और अनुसंधान केंद्र की संकल्पना इस तरह की जा रही है ताकि वर्तमान युवा पीढ़ी का समेकित विकास हो और उन्हें भविष्य के ज्ञान-परंपरा के नेतृत्व की ओर प्रेरित किया जा सके। मास्टर्स प्रोग्राम, ग्लोबल डॉक्टरेट और विश्वविद्यालय में विभिन्न अल्पकालिक कार्यक्रमों का समन्वय करते हुए विश्वविद्यालय में एक नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही है। पिछले कुछ वर्षों में हुए उत्तरोत्तर विकास से ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की आधार-शिला दृढ़ता और सुव्यवस्थित रूप से विकसित हो रही है।

24th February 2022: नालंदा विश्वविद्यालय में "आजादी का अमृत महोत्सव" समारोह

“आज़ादी का अमृत महोत्सव” समारोह श्रृंखला के तहत नालंदा विश्वविद्यालय में कई कार्यक्रमों के आयोजन करने की योजना है। श्रृंखला का पहला कार्यक्रम दिनांक 25 फरवरी 2022 को आयोजित किया जाएगा। “आजादी का अमृत महोत्सव” भारत सरकार द्वारा देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक मत्त्वपूर्ण पहल है। इस  उत्सव का उद्देश्य नालंदा के छात्रों में भारत के गौरवशाली अतीत और देश में हुई प्रगति के 75 साल के प्रति जागरूकता लाना है। नालंदा के छात्र इन आयोजनों के माध्यम से को भारत के समृद्ध इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों से रूबरू होंगे। समारोह का आयोजन नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्मित सभागार में होगा। कल के इस  कार्यक्रम में भरतनाट्यम की विख्यात नृत्यांगना सुदीपा घोष अपने नृत्य की प्रस्तुती देंगी। इ सके बाद छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुती होगी। इस समारोह में नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले 32 देशों के छात्र भाग लेंगे।

आयोजन के महत्व को रेखांकित करते हुए माननीय कुलपति प्रो सुनैना सिंह ने कहा, “इस उत्सव के माध्यम से हम भारत की उस गौरवशाली ज्ञान-परंपरा को पुनर्स्मरण करते हैं जो कई सहस्राब्दियों से इस देश की विरासत हैं। यह उत्सव इस बात पर भी विचार करने का एक अवसर है कि हम एक बहुध्रुवीय विश्व में कैसे सामंजस्यपूर्वक रह सकते हैं।”

नालंदा विश्वविद्यालय का एक उद्देश्य वर्तमान युवा पीढ़ी का समेकित विकास करना और उन्हें भविष्य के ज्ञान परंपरा के नेतृत्व की ओर प्रेरित करना है। कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के निर्देशन  में नालंदा विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों और अनुसंधान केंद्रों में मास्टर्स प्रोग्राम, ग्लोबल डॉक्टरेट के साथ साथ विभिन्न अल्पकालिक कार्यक्रमों का समन्वय करते हुए एक नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही है। विगत वर्षों में हुए उत्तरोत्तर विकास से ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की आधारशिला सुदृढ़ हुई है। यह विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बड़े नेट जीरो परिसरों में से एक के रूप में उभर रहा है।

11th Feb 2022 : बांग्लादेश के उच्चायुक्त ने नालंदा विश्वविद्यालय का किया भ्रमण 

आज दिनांक 11 फरवरी को बांग्लादेश के उच्चायुक्त माननीय एच.ई. मुहम्मद इमरान ने नालंदा विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। प्रोफेसर सुनैना सिंह, कुलपति, नालंदा विश्वविद्यालय ने माननीय उच्चायुक्त का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की प्रगति और उपलब्धियों से उन्हे अवगत कराया।

बांग्लादेश, नालंदा विश्वविद्यालय के सहभागी सदस्य देशों में से एक है। माननीय मुहम्मद इमरान ने प्रोफेसर सुनैना सिंह के कुशल नेतृत्व में नालंदा विश्वविद्यालय के हो रहे पुनरुत्थान को देखा और इसकी प्रशंसा की। अपनी यात्रा के दौरान, उच्चायुक्त के लिए एक कैम्पस टूर का भी आयोजन किया गया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय संबंध टीम ने उन्हें एक स्थायी परिसर बनाने के प्रयास के बारे में बताया गया। माननीय उच्चायुक्त ने विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे बांग्लादेश के छात्रों और शोधार्थीयों के साथ बातचीत करते हुए नालंदा की बहुआयामी समावेशी संस्कृति से प्रभावित हुए।

कुलपति प्रो सुनैना सिंह के अनुसार “नालंदा विश्वविद्यालय शिक्षा और संस्कृति के सशक्त प्रतीक-स्तम्भ के रूप में उभर रहा है। माननीय उच्चायुक्त की यह यात्रा नालंदा विश्वविद्यालय के विद्वत परंपरा के माध्यम से भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक साझेदारी और पारस्परिक संबंध को सुदृढ़ करेगी”।

नालंदा हमारे प्राचीन भारतीय/एशियाई ज्ञान और दर्शन का एक नवीन समन्वय है। कैंपस लगभग बनकर तैयार हो गया है। उच्चायुक्त ने विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य और शैक्षणिक गतिविधियों की सराहना करते हुए कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में उनका भ्रमण एक अद्वितीय अनुभव है।

26th January 2022: नालंदा विश्वविद्यालय में मनाया गया 73वां गणतंत्र दिवस राष्ट्र के गौरव के रूप में उभर रहा है नालंदा विश्वविद्यालय: कुलपति प्रो. सुनैना सिंह

नालंदा विश्वविद्यालय में भारत का 73वां गणतंत्र दिवस उल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय न केवल भारत बल्कि समग्र विश्व के गौरव के रूप में उभर रहा है।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर में छात्रों द्वारा देशभक्ति गीतों की प्रस्तुतियाँ हुई। विभिन्न देशों के छात्रों ने वैविध्यपूर्ण सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रदर्शित किये। इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रो. सुनैना सिंह ने शिक्षा परम्परा की समग्रता के महत्व पर जोर दिया। प्राचीन नालंदा की एकीकृत ज्ञान परम्परा को वर्तमान नालंदा से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि नवनिर्मित नालंदा विश्वविद्यालय विभिन्न देशों की संस्कृतियों का संगम है और भारत के समावेशी विद्वत परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है।

कोविड से उभरे वर्तमान संदर्भ का उल्लेख करते हुए प्रो. सिंह ने कहा कि हम अनिश्चितता और संक्रमण के दौर से गुजर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस का अवसर भारत के उस ऐतिहासिक परिवर्तन और संक्रमण को याद करने का अवसर है जब हमें राजनैतिक स्वतंत्रता के साथ वैचारिक स्वतंत्रता भी मिली। भारत में विकसित हुई ज्ञान परंपरा की व्याख्या करते हुए प्रो. सिंह ने ज्ञान, ध्यान, धैर्य, और कर्म की व्याख्या भारतीय विचार शैली के चार स्तम्भों के रूप में की।

ज्ञान-अर्जन और नैतिक मूल्यों की स्थापना में विश्वविद्यालय की महत्त्वपूर्ण भूमिका के तथ्य को रेखांकित करते हुए प्रो. सिंह ने छात्रों के वैयक्तिक विकास के साथ बौद्धिक और चारित्रिक विकास को प्रासंगिक बताया। उन्होंने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए ज्ञान-मूल्यों के निर्माण में शैक्षणिक संस्थानों की सक्रिय सहभागिता पर जोर दिया। ध्यातव्य है कि नालंदा विश्वविद्यालय का एक उद्देश्य वर्तमान युवा पीढ़ी का समेकित विकास करना और उन्हें भविष्य के वैश्विक नेतृत्व की ओर प्रेरित करना है।

कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के नेतृत्व में नालंदा विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों और अनुसंधान केंद्रों में मास्टर्स प्रोग्राम, ग्लोबल डॉक्टरेट के साथ साथ विभिन्न अल्पकालिक कार्यक्रमों का समन्वय करते हुए एक नवोन्मेषी शैक्षणिक संकल्पना साकार हो रही है। विगत वर्षों में हुए उत्तरोत्तर विकास से ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए अवतार की आधारशिला सुदृढ़ हुई है। यह विश्वविद्यालय दुनिया के सबसे बड़े नेट जीरो परिसरों में से एक के रूप में उभर रहा है।

कोविड के कारण कार्यक्रम का आयोजन प्रशासन के दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया था

23rd Dec 2021: नालंदा विश्वविद्यालय की पहल: नए वर्ष में होगी हिन्दू स्टडीज (सनातन) स्नातकोत्तर प्रोग्राम की शुरुआत

नालंदा विश्वविद्यालय में नए साल से हिन्दू स्टडीज (सनातन) प्रोग्राम की शुरुआत होने जा रही है। इसके लिए एम.ए. हिन्दु स्टडीज (सनातन) के प्रथम बैच के एडमिशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है । राजगीर के विश्वविद्यालय परिसर में 17 जनवरी 2020 से इस कोर्स की विधिवत पढ़ाई शुरू हो जाएगी। ये दो साल का फुल-टाइम प्रोग्राम है और इसकी पढ़ाई ऑफ लाइन तथा ऑन लाइन दोनों माध्यमों से की जा सकेगी। इस कोर्स में एडमिशन के लिए इच्छुक छात्र नामांकन प्रक्रिया की पूरी जानकारी नालंदा यूनिवर्सिटी की वेबसाइट के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं ।

नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के अनुसार “हम भारतीय बौद्धिक परंपराओं के लिए एक संसाधन केंद्र बनाने की कोशिश कर रहे हैं। नालंदा अपनी विद्वतापूर्ण परंपरा के लिए जाना जाता था; वर्तमान नालंदा भी उत्कृष्टता के लिए एक केंद्र बनाने की ओर अग्रसर है। हिंदू अध्ययन में एम.ए. प्रोग्राम का उद्देश्य छात्रों को प्राच्य सभ्यता और संस्कृति के मूलभूत सिद्धांतों से अवगत कराना है। इस कोर्स के माध्यम से छात्र भारत की समग्र विचार-परंपरा का विश्लेषणात्मक विधियों द्वारा एक तार्किक समझ विकसित करेंगे।”

‘हिंदू स्टडीज (सनातन)’ स्नातकोत्तर प्रोग्राम के माध्यम से छात्रों को भारतीय संस्कृति के शाश्वत सिद्धांत और जीवन मूल्य के साथ विभिन्न प्रकार की ज्ञान परंपराओं और प्रथाओं के समग्र अध्ययन और अनुसंधान का अवसर प्राप्त होगा । दो साल के इस प्रोग्राम का उद्देश्य नई पीढ़ी को प्राचीन परंपरा के प्राचीन ज्ञान स्रोतों के साथ-साथ वर्तमान संदर्भ में उनके महत्वों से भी अवगत कराना है । इस प्रोग्राम के पाठ्यक्रम को खास तौर से भारत की समृद्ध अध्यात्मिक और बौद्धिक विरासत को समझने के लिए तैयार किया गया है । इस कोर्स के पाठ्यक्रम में वेद, उपनिषद, इतिहास-पुराण रामायण और महाभारत के साथ-साथ नाट्यशास्त्र और अर्थशास्त्र को भी जगह दी गई है । इसके पाठ्यक्रम के माध्यम से नई पीढ़ी, सनातन परंपराओं को विस्तार पूर्वक जान पाएगी।

कोर्स में नामांकन की प्रक्रिया एवं न्यूनतम योग्यता :

नामांकन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन के माध्यम से ही होगी। मेधा सूची में वरियता के आधार पर योग्य अभ्यार्थियों का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये इंटरव्यू लिया जाएगा । इसी इंटरव्यू के आधार पर सफल अभ्यार्थियों का चयन किया जाएगा। कुछ योग्य छात्रों के लिए स्कालरशिप भी उपलब्ध है। कोर्स शुरू होने की तिथि 17 जनवरी 2022 निर्धारित की गई है अतः इच्छुक अभ्यार्थी आवेदन भेजने में विलंब न करें।

अभ्यार्थियों के लिए स्नातक स्तर पर कम से कम 55 फीसदी अंक या 4 जीपीए में से कम से कम 2.2 जीपीए (GPA) को न्यूनतम योग्यता निर्धारित किया गया है। इस कोर्स की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम में होगी इसलिए छात्रों की अंग्रेजी में दक्षता अनिवार्य है । नॉन-इंग्लिश स्पीकिंग देशों के छात्रों को अंग्रेजी में दक्षता का प्रमाण देना होगा। इसके लिए TOEFL, IELTS, TOEIC, PTE, STEP स्कोर भी स्वीकार किये जाएंगे।

27th December 2021 : नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति AUAP रिसर्च एंड इनोवेटिव कमेटी की सलाहकार नियुक्त

नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह को ‘एसोसिएशन ऑफ द यूनिवर्सिटीज ऑफ एशिया एंड द पैसिफिक’ (AUAP) नामक संस्था ने अपने रिसर्च एंड इनोवेटिव कमेटी का सलाहकार नियुक्त किया है।

AUAP एशिया- पैसिफिक क्षेत्र के विश्वविद्यालयों पर केंद्रित एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व भर में उच्च शिक्षा क्षेत्रों में गुणवत्ता और अनुसंधान की संस्कृति को बढ़ावा देना है। विश्व के करीब 150 विश्वविद्यालय AUAP के सदस्य हैं।

प्रोफेसर सुनैना सिंह को एक प्रखर शिक्षाविद् के रूप में जाना जाता है। प्रो. सिंह ने एशिया पैसिफिक क्षेत्र में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने और अनुसंधान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

16th December 2021: नालंदा विश्वविद्यालय के बहुआयामी विकास की सदस्य देशों ने की सराहना:

विदेश मंत्रालय ने दिल्ली में की नालंदा के 17 सदस्यों देशों के बैठक की मेजबानी

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने बीते दिनों (16 दिसंबर 2021) नालंदा विश्वविद्यालय के 17 सदस्य देशों के मिशन प्रमुखों की बैठक की मेजबानी की। सदस्य देशों के राजनायिकों के साथ यह उच्च-स्तरिय बैठक नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय के पॉलिसी प्लानिंग एंड रिसर्च के प्रभाग द्वारा आयोजित की गई थी । इस बैठक में कंबोडिया, लाओस-पीडीआर, म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई दारूसलम, मॉरिशस, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, थाईलैंड, पुर्तगाल, इंडोनेशिया, चीन और सिंगापुर के प्रतिनिधि मौजूद थे। नालंदा विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति प्रो.सुनैना सिंह के नेतृत्व में प्राध्यपकों और अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल ने इस बैठक में शिरकत की ।

बैठक की शुरुआत विदेश मंत्रालय पॉलिसी प्लानिंग एंड रिसर्च प्रभाग के संयुक्त सचिव डॉ. अनुपम रे के उद्बोधन से हुई। इस मौके पर उन्होने नालंदा विश्वविद्यालय की प्रगति में कुलपति प्रो.सुनैना सिंह के योगदान की सराहना की । उन्होने कहा कि “नालंदा विश्वविद्यालय जो अबतक सिर्फ हमारे विचारों में था, अब एक वास्तविकता है”। उन्होने वैश्विक उपलब्धि के रूप में नालंदा विश्वविद्यालय को भविष्य में भी पूर्ण सहयोग देने की विदेश मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दोहराया। डॉ अनुपम रे ने सदस्य देशों के राजनयिकों के सामने नालंदा विश्वविद्यालय को “आपका और हमारा अपना विश्वविद्यालय’ बताया और उनसे सहयोग की अपेक्षा की बात कही । उन्होने इस विश्वविद्यालय के पुनर्निमाण को एक अप्रत्याशित उपलब्धि बताया, जहां पिछले 5 वर्ष में परिसर के निर्माण में 0.28 प्रतिशत से बढ़कर 85 प्रतिशत की प्रगति हुई है।

बैठक के दौरान देशों के प्रतिनिधियों के समक्ष माननीय कुलपति ने विकास कार्यों की विस्तृत प्रस्तुति दी और नालंदा विश्वविद्यालय के अकादमिक स्थापत्य से उन्हे अवगत कराया। कुलपति ने बताया कि भविष्य के ज्ञान- परंपरा का नेतृत्व तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय में किस तरह से अंतर्विषयक आध्यापन, वैश्विक पीएचडी कार्यक्रम और कैफेटेरिया मॉडल के साथ नवीन अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस बैठक का संचालन विदेश मंत्रालय के विदेश नीति योजना प्रभाग के निदेशक डॉ. सुमित सेठ ने किया।

कुलपति के संबोधन के पश्चात बैठक में मौजूद सदस्य देशों के मिशन-प्रमुखों ने नालंदा विश्वविद्यालय में हुए विकास कार्यों की सराहना की और नालंदा के साथ अकादमिक सहयोग में रुचि दिखाते हुए भविष्य में सभी प्रकार के सहयोग का आश्वासन दिया। सदस्य देशों के मिशन-प्रमुखों ने राजगीर स्थित नालंदा विश्वविद्यालय परिसर भ्रमण की इच्छा जाहिर की। माननीय कुलपति ने मिशन-प्रमुखों को नालंदा-यात्रा के लिए निमंत्रण दिया।

गौरतलब है कि वर्तमान में नालंदा विश्वविद्यालय में 31 देशों के छात्र नामांकित हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के भूतपूर्व वियतनामी छात्र ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए लिखा है कि “नालंदा विश्वविद्यालय में अपने अध्ययन के दौरान मुझे कई अविस्मरणीय अनुभव हुए। राजगीर जैसे पवित्र बौद्ध-स्थान की दिव्य अनुभूति के साथ मैंने नालंदा विश्वविद्यालय में यहाँ की उच्च स्तरीय अध्ययन का समग्र आनंद लिया। एक स्नेही महिला के रूप में माननीय कुलपति द्वारा और अन्य नालंदा के प्रोफेसर और स्टाफ सदस्यों से मुझे पूरा सहयोग मिला।”

11th December 2021: नालंदा विश्वविद्यालय को मिला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान:

स्विट्ज़रलैंड की संस्था ESQR ने अकादमिक गुणवत्ता के लिए किया सम्मानित

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित स्विट्ज़रलैंड की संस्था, यूरोपियन सोसायटी फॉर क्वालिटी रिसर्च (ESQR) ने नालंदा विश्वविद्यालय को क्वालिटी अचीवमेंट अवार्ड-2021 से सम्मानित किया है। विदेश मंत्रालय से सम्बद्ध भारत के इस अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय की ओर से दुबई स्थित भारतीय दूतावास के कौंसल श्री रामकुमार थंगराज आज 11 दिसंबर को दुबई में आयोजित सम्मान समारोह में यह पुरस्कार ग्रहण करेंगे। नालंदा विश्वविद्यालय को यह सम्मान इसके बहुआयामी एवं अनुसंधान उन्मुख शिक्षण पद्धति के लिए दिया गया है। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मान समारोह में यूरोप, एशिया, अमेरिका, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया समेत अनेक देशों के प्रतिष्ठानों, विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों को विभिन्न श्रेणियों के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

विश्वविद्यालय के पुरस्कृत होने पर कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “यहाँ हम लोगों ने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक संरचना के अंतर्गत एक सुव्यवस्थित मॉडल विकसित किया है जिसके पाठ्यक्रम में पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का एकीकृत मिश्रण है। इस सम्मान ने नालंदा विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता एवं शिक्षा व्यवस्था के महत्व को एक बार फिर स्थापित किया है। इस पुरस्कार से नालंदा विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप और ज्ञान–मार्ग के माध्यम से दुनिया के साथ विश्वविद्यालय के अकादमिक संबंध की संभावनाओं को विकसित करने में सहायता मिलेगी । ”

यूरोपियन सोसायटी फॉर क्वालिटी रिसर्च (ESQR) पिछले कई वर्षों से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों के संस्थानों को उनकी गुणवत्ता, उपयोगिता और नवाचारों के आधार पर सम्मानित करने का कार्य कर रही है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई श्रेणियों और मानकों के आधार पर अवार्ड के विजेताओं का चयन किया जाता है। इस सम्मान के आयोजकों द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के कुशल नेतृत्व और विश्वविद्यालय के सुनियोजित शैक्षणिक गुणवत्ता की सराहना की गई है।

05th December 2021 : नालंदा विश्वविद्यालय आया भूटान का प्रतिनिधिमंडल: विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व्यवस्था की सराहना की और शिक्षा जगत के लिए इसे बताया अनुकरणीय

भूटान के जेन-नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क प्रोग्राम के प्रतिनिधिमंडल ने नालंदा विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत भूटान के युवा नेताओं को भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं, सांस्कृतिक विरासत और वर्तमान में हो रहे विकास का अवलोकन करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय में कल उनकी यात्रा का आयोजन किया गया था। चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में श्री नवांग ग्यालछन, श्री पशुपति दियाली, सुश्री सोनम यांगडेन और सुश्री शेरिंग डेनकर शामिल थे, जो भूटान के व्यापार, कला, संस्कृति, संगीत एवं साहित्य के क्षेत्र के अग्रणी युवा नेतृत्व हैं। यह दल 25 नवंबर से भारत की यात्रा पर है।

नालंदा विश्वविद्यालय में इस प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया गया और उन्हें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक पहलुओं एवं क्रिया-कलापों से अवगत कराया गया  नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने वर्चुअल माध्यम से प्रतिनिधिमंडल को संबोधित किया, जहां उन्होंने नालंदा के पुनरुत्थान के महत्व, इसके अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप और ज्ञान-मार्ग के माध्यम से दुनिया के साथ विश्वविद्यालय के परस्पर संबंध को विकसित करने की बात की। कुलपति के संबोधन में भारत और भूटान के बीच मजबूत सांस्कृतिक अंतर्संबंध पर जोर दिया गया। प्रतिनिधिमंडल ने अकादमिक संकाय सदस्यों के साथ भी विस्तृत बातचीत की। विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग टीम ने  विश्वविद्यालय के वास्तुशिल्प डिजाइन और नेट-जीरो की अवधारणा से प्रतिनिधि मण्डल को अवगत कराया। प्रतिनिधियों ने शैक्षणिक कार्यक्रमों से संबंधित विश्वविद्यालय के पहल और विश्वविद्यालय के निर्माण में कुलपति के योगदान की सराहना की।

मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत भूटान के छात्र-छात्राओं से मुलाकात की और उनके अनुभव के बारे में जाना। इस के बाद उन्होंने ने 455 एकड़ में फैले नालंदा विश्वविद्यालय के नेट-जीरो कैंपस का भ्रमण किया। इस दौरान उनके साथ मौजूद विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और अधिकारियों ने उन्हे कैंपस में मौजूद इमारतों, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय की वास्तुकला और स्थापत्य की बारीकियों और प्राचीन नालंदा महाविहार के साथ इसकी समानता के बारे में जानकारी दी गई।

प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे विभिन्न पर्यावरण संरक्षण संबंधित पहलों के बारे में और जानने में रुचि व्यक्त की और भविष्य में भूटान के साथ अकादमिक संबंध की संभावनाओं के बारे में बातचीत की। उन्होंने विश्वविद्यालय में निर्मित हो रहे अभूतपूर्व निर्माण, सुनियोजित अकादमिक एवं शैक्षणिक व्यवस्था की सराहना की और इसे समस्त शिक्षा जगत के लिए अनुकरणीय बताया।

04th December 2021:नालंदा विश्वविद्यालय आया भूटान का प्रतिनिधिमंडल: विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व्यवस्था की सराहना की और शिक्षा जगत के लिए इसे बताया अनुकरणीय

भूटान के जेन-नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क प्रोग्राम के प्रतिनिधिमंडल ने नालंदा विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत भूटान के युवा नेताओं को भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं, सांस्कृतिक विरासत और वर्तमान में हो रहे विकास का अवलोकन करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय में कल उनकी यात्रा का आयोजन किया गया था। चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में श्री नवांग ग्यालछन, श्री पशुपति दियाली, सुश्री सोनम यांगडेन और सुश्री शेरिंग डेनकर शामिल थे, जो भूटान के व्यापार, कला, संस्कृति, संगीत एवं साहित्य के क्षेत्र के अग्रणी युवा नेतृत्व हैं। यह दल 25 नवंबर से भारत की यात्रा पर है।

नालंदा विश्वविद्यालय में इस प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया गया और उन्हें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक पहलुओं एवं क्रिया-कलापों से अवगत कराया गया नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने वर्चुअल माध्यम से प्रतिनिधिमंडल को संबोधित किया, जहां उन्होंने नालंदा के पुनरुत्थान के महत्व, इसके अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप और ज्ञान-मार्ग के माध्यम से दुनिया के साथ विश्वविद्यालय के परस्पर संबंध को विकसित करने की बात की। कुलपति के संबोधन में भारत और भूटान के बीच मजबूत सांस्कृतिक अंतर्संबंध पर जोर दिया गया। प्रतिनिधिमंडल ने अकादमिक संकाय सदस्यों के साथ भी विस्तृत बातचीत की। विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग टीम ने विश्वविद्यालय के वास्तुशिल्प डिजाइन और नेट-जीरो की अवधारणा से प्रतिनिधि मण्डल को अवगत कराया। प्रतिनिधियों ने शैक्षणिक कार्यक्रमों से संबंधित विश्वविद्यालय के पहल और विश्वविद्यालय के निर्माण में कुलपति के योगदान की सराहना की।

मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत भूटान के छात्र-छात्राओं से मुलाकात की और उनके अनुभव के बारे में जाना। इस के बाद उन्होंने ने 455 एकड़ में फैले नालंदा विश्वविद्यालय के नेट-जीरो कैंपस का भ्रमण किया। इस दौरान उनके साथ मौजूद विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और अधिकारियों ने उन्हे कैंपस में मौजूद इमारतों, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय की वास्तुकला और स्थापत्य की बारीकियों और प्राचीन नालंदा महाविहार के साथ इसकी समानता के बारे में जानकारी दी गई।

प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे विभिन्न पर्यावरण संरक्षण संबंधित पहलों के बारे में और जानने में रुचि व्यक्त की और भविष्य में भूटान के साथ अकादमिक संबंध की संभावनाओं के बारे में बातचीत की। उन्होंने विश्वविद्यालय में निर्मित हो रहे अभूतपूर्व निर्माण, सुनियोजित अकादमिक एवं शैक्षणिक व्यवस्था की सराहना की और इसे समस्त शिक्षा जगत के लिए अनुकरणीय बताया।

07th November 2021: नालंदा विश्वविद्यालय में छठे अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का आयोजन: उपराष्ट्रपति आज (7 नवंबर) करेंगे सम्मेलन का उद्घाटन

उपराष्ट्रपति आज (7 नवंबर) करेंगे सम्मेलन का उद्घाटन

image

नालंदा विश्वविद्यालय माननीय उपराष्ट्रपति श्री वेंकैया नायडू का अपने नए परिसर में स्वागत करने के लिए तैयार है। माननीय उपराष्ट्रपति आज “कोविड उपरांत विश्व व्यवस्था के निर्माण में धर्म-धम्म परंपराएं” विषय पर आधारित छठे अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस भव्य समारोह में बिहार के माननीय राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ-साथ श्रीलंका के एक मंत्री की भी गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक बयान में कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने इस सम्मेलन के बारे में जानकारी दी, उन्होने कहा कि, “इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू करेंगे। इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न देशों के दो सौ से अधिक प्रतिनिधि, गणमान्य व्यक्ति और काफी संख्या में विद्वान हिस्सा लेंगे। ” उन्होंने ये भी कहा कि, “यह सम्मेलन शिक्षा जगत के श्रेष्ठ बुद्धिजीवियों, प्रमुख राजनेताओं, और भारत तथा विदेशों के धार्मिक राजनेताओं को एक साझा मंच प्रदान करेगा। सम्मेन में कोविड के बाद की विश्व व्यवस्था के निर्माण की नई संभावनाओं पर विचार-विमर्श होगा।”

इंडिया फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित यह तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 7 से 9 नवंबर 2021 तक चलेगा। धर्म-धम्म परंपराएं लोगों की जीवन शैली सुधारने और महामारी के विनाशकारी प्रभाव से उबरने में अहम भूमिका निभा सकती है। यह सम्मेलन मानव और प्रकृति के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व को ध्यान में रखते हुए कोविड उपरांत की खुशहाल और स्वस्थ दुनिया बनाने में बड़ी भूमिका निभाएगा और इसके लिए आध्यात्मिक मूल्यों पर आधारित नए विचारों को साझा करने की संभावना पैदा करेगा। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य इन विषयों के साथ-साथ स्वास्थ्य, मानव कल्याण, जलवायु परिवर्तन और सामाजिक सद्भाव से संबंधित अन्य विषयों पर भी विचार-विमर्श करना और धर्म-धम्म परम्पराओं दिखाए गए मार्गों के महत्त्व प्रदर्शित करना है।

27 October 2021:  नालंदा विश्वविद्यालय - माननीय विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह का स्वागत


 

नालंदा विश्वविद्यालय ने दिखाई नई राह

नालंदा विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में , 28 अक्टूबर को केंद्रीय विदेश एवं शिक्षा राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह की आगवानी के लिए पूरी तरह से तैयार है । डॉ. सिंह केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के दिलों के बेहद करीब इस अनूठी परियोजना की प्रगति को देखने के लिए विश्वविद्यालय के दो दिवसीय दौरे पर आएंगे । अपने विध्वंस के 8 शताब्दियों के बाद नालंदा विश्वविद्यालय अब विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर और बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन तथा समर्थन के साथ कुलपति प्रो.सुनैना सिंह के भागरीरथी प्रयास के कारण देश के सबसे बड़े नेट जीरो कैंपस के तौर पर विकसित हो रहा है।

श्री नीतीश कुमार ने नालंदा विश्वविद्यालय के लिए राजगीर पहाड़ियों की सुरम्य तलहटी में 455 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाया है । इसके पीछे नीतीश कुमार की सोच न केवल ज्ञान समाज बनाने की गौरवशाली परंपरा को पुनर्जीवित करना है बल्कि “जल, जीवन” हरियाली के अपने मंत्र के माध्यम से प्रकृति के साथ सद्भाव कायम करने की भी है । नालंदा ने नवीन दृष्टिकोण के साथ, प्राचीन भारतीय स्वदेशी ऊर्जा मॉडल द्वारा निर्देशित, एक स्थायी परिसर के निर्माण की राह दिखाई है ।  प्रोफेसर सिंह के लगातार प्रयास और कड़ी मेहनत के कारण विश्वविद्यालय में महज तीन साल में 80 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है जो अपने आप में एक मिसाल है । पिछले तीन साल में विश्वविद्यालय में ना सिर्फ कठिन बुनियादी ढांचे को विकसित किया गया बल्कि 6 स्कूलों और 12 शैक्षणिक कार्यक्रमों को शुरू किया गया और सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ाया गया है ।

ऊर्जा संकट को दूर करने और भविष्य की पीढ़ी के लिए हमारे पर्यावरण का संरक्षण करने के उद्देश्य से, लगभग 200 नेट जीरो एनर्जी बिल्डिंग  पूरा होने की कगार पर हैं । इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कोविड -19 के विनाशकारी प्रभावों के बावजूद, विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और निर्माण कार्यों को रुकने नहीं दिया । यही वजह रही कि विश्वविद्यालय में सभी पाठ्यक्रमों को समय से पूरा किया जा सका और अब ये 30 से अधिक राष्ट्रीयताओं वाले विविध परिसरों में से एक बन गया है।  इस विश्वविद्यालय के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत होने के कारण केंद्रीय मंत्री डॉ.सिंह की यात्रा काफी अहम हो जाती है । डॉ.सिंह खुद एक शिक्षाविद् हैं और ‘प्रकृति के साथ सद्भाव’ तथा अभिनव दृष्टिकोण के बड़े समर्थक भी हैं । उनकी ये यात्रा ना सिर्फ विविध राष्ट्रीयता वाले छात्रों में नई ऊर्जा का संचार करेगी बल्कि टीम नालंदा को प्रगति का मूल्यांकन करने और भविष्य के लिए कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने का अवसर भी प्रदान करेगी । डॉ.सिंह की ये यात्रा ज्ञान के प्राचीन केंद्र के प्रति भारत सरकार और विदेश मंत्रालय की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है.

नालंदा विश्वविद्यालय  कार्बन न्यूट्रल और जीरो-वेस्ट कैंपस के मॉडल के तौर पर एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया है। नालंदा विश्वविद्यालय  आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज के माध्यम से आसियान देशों के शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ने के लिए एक नोडल एजेंसी होने के नाते, भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । विश्वविद्यालय के नए अवतार में आने के बाद डॉ. राजकुमार रंजन सिंह की ये पहली मंत्रिस्तरीय यात्रा है।

25th Sep 2021: 30 से भी अधिक देश के विद्यार्थियों के साथ आयोजित हुआ नालंदा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय 'रेजोनेंस फेस्ट'

नालंदा विश्वविद्यालय ने इस शनिवार को ‘रेजोनेंस’ नामक सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया। इस वर्ष विश्वविद्यालय में नामांकित ३० से अधिक देशों के छात्र इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा थे।

इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का विषय ‘द रेजोनेंस – व्हेयर द वर्ल्ड कम्स टुगेदर’ था। कार्यक्रम का आयोजन स्टूडेंट्स वेलफेयर विभाग के सहयोग से किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर और उपनिषद के श्लोक ‘असतो मा सद्गमय’ के पाठ के साथ किया गया, जिसका अर्थ है, ‘मुझे अंधकार से अज्ञान से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले चलो’। इसके बाद वियतनाम के छात्रों के एक समूह द्वारा बौद्ध मंत्रोच्चार किया गया। छात्र समूह ने वियतनामी परंपरा में एक संस्कृत बौद्ध मंत्र ‘नीलकंठ धारणी’ का पाठ किया। पारम्परिक वाद्य यंत्रों सहित इस मंत्रोच्चारण के बाद संस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला थी जिसमें इंडोनेशिया के छात्रों के एक समूह के इंडोनेशियाई गीत, युगांडा और जमैका के छात्रों के लोक नृत्य, ईरान के एक छात्र द्वारा फारसी कविता का पाठ शामिल था। भारतीय छात्रों के कार्यक्रमों में उर्दू कविता पाठ और उप-शास्त्रीय संगीत और बॉलीवुड गीतों पर प्रदर्शन भी शामिल थे।

यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के मिनी सभागार में आयोजित किया गया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के इन प्रदर्शनों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। अपने-अपने देशों के गीत और नृत्य की इन प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने अपनी देश की सांस्कृतिक विरासत की विशिष्टता को प्रस्तुत करने का प्रयास किया। कार्यक्रम में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी परिलक्षित हुआ जब एक भूटानी छात्र ने एक हिंदी गीत की सुंदर प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन के दौरान ईरान के एक छात्र ने मौलाना जलालुद्दीन रूमी के रहस्यमय छंदों का पाठ किया और अपने और ईरान के पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल

की समस्याओं के बारे में बात की। उन्होंने अपने देश की प्राचीन संस्कृति पर भारतीय सूफी परंपरा के प्रभाव पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के कुछ संकाय सदस्यों ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 30 से अधिक देशों के छात्रों और संस्कृतियों को एक मंच पर शामिल करना था।

कार्यक्रम का समापन नालंदा अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के भाषण के साथ हुआ। उन्होंने बताया कि कैसे इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्रों के चरित्र निर्माण और उनके सर्वागीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों के विद्वत्ता और चरित्र निर्माण के विकास में शिक्षकों की भूमिका और जिम्मेदारी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। प्रो. सिंह ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के इस अद्भुत सांस्कृतिक समायोजन के लिए छात्रों और इससे जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय के उन खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया जो हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में विजेता रहे हैं। कार्यक्रम का समापन एक समूह गीत के साथ हुआ जिसमें पृथ्वी की प्राकृतिक संपदा को बचाने का संदेश था।

कोविड-19 लॉकडाउन के प्रतिबंध हटने के बाद विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाला यह पहला सांस्कृतिक कार्यक्रम था। कार्यक्रम में नालंदा विश्वविद्यालय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 से संबंधित दिशा-निर्देशों का पूरा ध्यान रखा गया.

24 Sep 2021: 'बुद्ध से नागार्जुन तक': लेक्चर सीरिज को पुनर्जीवित करने में जुटा नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय के विशिष्ट लेक्चर सीरिज कार्यक्रम के तहत आई आई टी, भुवनेश्वर के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. गोदाबरिशा मिश्रा ने भारतीय दर्शन और समकालीन समय के साथ इसके संबंधों के विषय पर दो दिवसीय व्याख्यान दिया । ये व्याख्यान 22 और 23 सितंबर को विश्वविद्यालय के मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया था ।

इस लेक्चर सीरिज कार्यक्रम के तहत उत्कृष्ट शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों को नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों और शोधार्थियों से अपने विचार और दृष्टिकोण को  साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है । इस लेक्चर सीरिज के तहत नालंदा के छात्रों को भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हो रहे अध्ययन और अनुसंधान के विविध क्षेत्रों से अवगत कराया जा रहा है ।

इस महीने लेक्चर सीरिज के लिए शिक्षाविद् प्रोफेसर गोदाबरीश मिश्रा को आमंत्रित किया गया था, जो हिंदू और बौद्ध दर्शन के प्रख्यात विद्वान हैं । वो मद्रास विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं । उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ फिलॉसॉफिकल रिसर्च (ICPR), दिल्ली के पूर्व सदस्य-सचिव और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूके में विजिटिंग फेलो के तौर पर भी काम किया है।

इस लेक्चर सीरिज में प्रो. मिश्रा ने भारतीय शास्त्रों की प्रणालियों के विभिन्न पहलुओं और आधुनिक दिनों में उनकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला । उन्होंने भारतीय बौद्धिक प्रणाली के पौराणिक चिंतन के तरीकों और इसके लिए पश्चिमी दृष्टिकोण पर भी जोर दिया । लेक्चर सीरिज के पहले दिन प्रो. मिश्रा ने बताया कि संस्कृत शब्द ‘दर्शन’ और उसके समकक्ष अंग्रेजी शब्द ‘फिलॉसफी’ में अंतर है । उनके लेक्चर के दौरान आध्यात्मिक प्रश्नों पर भारतीय दृष्टिकोण की विशिष्टता पर विचार-विमर्श किया गया और इस पर गहन चर्चा की गई कि आजादी से पहले के भारत के दर्शन को पश्चिमी दर्शन के समान क्यों नहीं माना जाता है ।

लेक्चर सीरिज के दूसरे दिन ‘भारतीय दर्शन की ऐतिहासिक प्रगति – गौतम बुद्ध से नागार्जुन तक’ विषय पर विस्तार से चर्चा की गई । इस चर्चा के दौरान प्रो. मिश्रा ने बताया कि कैसे गौतम बुद्ध ने सनातन वैदिक परंपरा में दार्शनिक तर्कसंगतता की भावना का संचार किया और कैसे धम्म की इस परंपरा को नागार्जुन जैसे बौद्ध दार्शनिकों द्वारा आगे बढ़ाया गया, जो बाद में नालंदा की शैक्षिक विद्वत परंपरा के रूप में विकसित हुई ।

दो दिवसीय इस लेक्चर सीरिज में विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया । कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में नालंदा विश्वविद्यालय कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है जिसमें भारत की अमूर्त और मूर्त विरासत के संरक्षण के लिए हेरिटेज वॉक, म्यूजियम विजिट और विद्वानों के संवाद सत्र शामिल हैं । नालंदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज, स्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीज, स्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एन्वायरनमेंट स्टडीज और स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज इस प्रयास में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं ।

-+=
Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this