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Nalanda University’s Press Releases

04th December 2021:नालंदा विश्वविद्यालय आया भूटान का प्रतिनिधिमंडल: विश्वविद्यालय के शैक्षणिक व्यवस्था की सराहना की और शिक्षा जगत के लिए इसे बताया अनुकरणीय

भूटान के जेन-नेक्स्ट डेमोक्रेसी नेटवर्क प्रोग्राम के प्रतिनिधिमंडल ने नालंदा विश्वविद्यालय का भ्रमण किया। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत भूटान के युवा नेताओं को भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं, सांस्कृतिक विरासत और वर्तमान में हो रहे विकास का अवलोकन करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालय में कल उनकी यात्रा का आयोजन किया गया था। चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में श्री नवांग ग्यालछन, श्री पशुपति दियाली, सुश्री सोनम यांगडेन और सुश्री शेरिंग डेनकर शामिल थे, जो भूटान के व्यापार, कला, संस्कृति, संगीत एवं साहित्य के क्षेत्र के अग्रणी युवा नेतृत्व हैं। यह दल 25 नवंबर से भारत की यात्रा पर है।

नालंदा विश्वविद्यालय में इस प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया गया और उन्हें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक पहलुओं एवं क्रिया-कलापों से अवगत कराया गया नालंदा विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. सुनैना सिंह ने वर्चुअल माध्यम से प्रतिनिधिमंडल को संबोधित किया, जहां उन्होंने नालंदा के पुनरुत्थान के महत्व, इसके अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप और ज्ञान-मार्ग के माध्यम से दुनिया के साथ विश्वविद्यालय के परस्पर संबंध को विकसित करने की बात की। कुलपति के संबोधन में भारत और भूटान के बीच मजबूत सांस्कृतिक अंतर्संबंध पर जोर दिया गया। प्रतिनिधिमंडल ने अकादमिक संकाय सदस्यों के साथ भी विस्तृत बातचीत की। विश्वविद्यालय की इंजीनियरिंग टीम ने विश्वविद्यालय के वास्तुशिल्प डिजाइन और नेट-जीरो की अवधारणा से प्रतिनिधि मण्डल को अवगत कराया। प्रतिनिधियों ने शैक्षणिक कार्यक्रमों से संबंधित विश्वविद्यालय के पहल और विश्वविद्यालय के निर्माण में कुलपति के योगदान की सराहना की।

मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय में अध्ययनरत भूटान के छात्र-छात्राओं से मुलाकात की और उनके अनुभव के बारे में जाना। इस के बाद उन्होंने ने 455 एकड़ में फैले नालंदा विश्वविद्यालय के नेट-जीरो कैंपस का भ्रमण किया। इस दौरान उनके साथ मौजूद विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों और अधिकारियों ने उन्हे कैंपस में मौजूद इमारतों, संसाधनों और सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया। उन्हें नालंदा विश्वविद्यालय की वास्तुकला और स्थापत्य की बारीकियों और प्राचीन नालंदा महाविहार के साथ इसकी समानता के बारे में जानकारी दी गई।

प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे विभिन्न पर्यावरण संरक्षण संबंधित पहलों के बारे में और जानने में रुचि व्यक्त की और भविष्य में भूटान के साथ अकादमिक संबंध की संभावनाओं के बारे में बातचीत की। उन्होंने विश्वविद्यालय में निर्मित हो रहे अभूतपूर्व निर्माण, सुनियोजित अकादमिक एवं शैक्षणिक व्यवस्था की सराहना की और इसे समस्त शिक्षा जगत के लिए अनुकरणीय बताया।

29th October 2021: “विश्व शांति सद्भाव की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा नालंदा विश्वविद्यालय” - केंद्रीय विदेश एवं शिक्षा राज्यमंत्री

केंद्रीय विदेश एवं शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह नालंदा विश्वविद्यालय के दो दिवसीय दौरे पर हैं । अपनी यात्रा के दूसरे दिन उन्होने नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्मित टीचिंग ब्लॉक का उद्घाटन किया। आज कुलपति प्रो.सुनैना सिंह ने उन्हे विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गतिविधियों और विकास कार्यों से अवगत कराया ।

इस मौके पर माननीय मंत्री जी ने कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह के नेतृत्व में नवनिर्मित नालंदा विश्वविद्यालय की प्रगति पर गहन संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि कुलपति द्वारा यह महत कार्य भारतीय नारी शक्ति की अभूतपूर्व क्षमता का प्रतिनिधित्त्व करता है।

उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर के निर्माण में प्राचीन नालंदा की वास्तु शैली के समन्वय की सराहना करते हुए हरित परिसर, जल संसाधन मितव्ययिता, वर्षा जल-संचय और नेट-जीरो जैसे प्रयोगों की भी सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि नालंदा परिवार विश्व शांति सद्भाव की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा।

माननीय मंत्री ने अपने सम्बोधन में बताया कि नालंदा जैसी ज्ञान की संस्थाएँ वर्तमान समय में हमारे अंतर-संबंधों और समझ को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। नालंदा विश्वविद्यालय “समावेश, सद्भाव, शांति, ज्ञान, प्रेरणा, रचनात्मकता और नवाचार” के प्रतीक के रूप में अपना स्थान बना रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के छात्रों की भागीदारी नालंदा के समावेशी अनुभव को समृद्ध करती है जिसका उपयोग मानवता की समृद्धि लिए एक ‘नौलेज ईको सिस्टम’ को विकसित करने के लिए किया जा सकता है।

कुलपति प्रोफेसर सुनैना सिंह ने विगत वर्षों में नालंदा विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियों और निर्माण कार्यों की प्रगति पर एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से माननीय मंत्री को अवगत कराया। उन्होने युवाओं के भविष्य को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। शिक्षा के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए कुलपति ने कहा कि हमारे नालंदा की शिक्षण पद्धति में भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा और आधुनिक बौद्धिक अन्वेषणों का समन्वय किया गया है जिससे भविष्य के वैचारिक नेतृत्व करने वाली पीढ़ी का सृजन हो सके।

सदियों तक नालंदा शिक्षा का प्रतिष्ठित केंद्र था जिसने पूरे एशिया के विद्वानों को आकर्षित किया और अंतर-एशिया ज्ञान और वार्ता का केंद्रबिंदु बन गया। आज का नालंदा विश्वविद्यालय भी वैश्वीकृत दुनिया के लिए आशा, ज्ञान और सुरक्षा के एक प्रकाश स्तंभ के रूप में उभर रहा है।

माननीय मंत्री ने अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न भवनों और नवनिर्मित सुविधा केन्द्रों का दौरा किया । इस दौरान विश्वविद्यालय में हाल ही में बनाए गए स्कूलों और केंद्रों के बारे में बताने के लिए स्वयं कुलपति प्रो. सुनैना सिंह और फैकल्टी मेंबर्स के साथ-साथ अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे।

माननीय मंत्री के सम्मान में विश्वविद्यालय के मिनी ऑडिटोरियम में छात्रों द्वारा एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम के माध्यम से छात्रों ने विश्वविद्यालय के बहुसांस्कृति विविधता का प्रदर्शन किया। ध्यातव्य है कि विश्वविद्यालय में 30 से अधिक देशों के छात्र अध्ययनरत हैं।

माननीय मंत्री की यह यात्रा एशियाई पुनरुत्थान के प्रतीक के रूप में प्राचीन नालंदा ज्ञान परंपरा के पुनरुद्धार के लिए किए जा रहे भारत सरकार के प्रयास को दर्शाती है ।

27 October 2021:  नालंदा विश्वविद्यालय - माननीय विदेश राज्य मंत्री डॉ. राजकु मार रंजन सिंह का स्वागत


 

नालंदा विश्वविद्यालय ने दिखाई नई राह 

नालंदा विश्वविद्यालय अपने नए अवतार में 28 अक्टूबर को केंद्रीय विदेश एवं शिक्षा राज्य मंत्री डॉ राजकुमार रंजन सिंह की आगवानी के लिए पूरी तरह से तैयार है । डॉ. सिंह केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों के दिलों के बेहद करीब इस अनूठी परियोजना की प्रगति को देखने के लिए विश्वविद्यालय के दो दिवसीय दौरे पर आएंगे । अपने विध्वंस के 8 शताब्दियों के बाद नालंदा विश्वविद्यालय अब विदेश मंत्री डॉ.एस.जयशंकर और बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन तथा समर्थन के साथ कुलपति प्रो.सुनैना सिंह के भागरीरथी प्रयास के कारण देश के सबसे बड़े नेट जीरो कैंपस के तौर पर विकसित हो रहा है। 

श्री नीतीश कुमार ने नालंदा विश्वविद्यालय के लिए राजगीर पहाड़ियों की सुरम्य तलहटी में 455 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाया है । इसके पीछे नीतीश कुमार की सोच न केवल ज्ञान समाज बनाने की गौरवशाली परंपरा को पुनर्जीवित करना है बल्कि “जलजीवन” हरियाली के अपने मंत्र के माध्यम से प्रकृति के साथ सद्भाव कायम करने की भी है । नालंदा ने नवीन दृष्टिकोण के साथप्राचीन भारतीय स्वदेशी ऊर्जा मॉडल द्वारा निर्देशितएक स्थायी परिसर के निर्माण की राह दिखाई है ।  प्रोफेसर सिंह के लगातार प्रयास और कड़ी मेहनत के कारण विश्वविद्यालय में महज तीन साल में 80 फीसदी निर्माण कार्य पूरा हो चुका है जो अपने आप में एक मिसाल है । पिछले तीन साल में विश्वविद्यालय में ना सिर्फ कठिन बुनियादी ढांचे को विकसित किया गया बल्कि 6 स्कूलों और 12 शैक्षणिक कार्यक्रमों को शुरू किया गया और सॉफ्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बढ़ाया गया है ।

ऊर्जा संकट को दूर करने और भविष्य की पीढ़ी के लिए हमारे पर्यावरण का संरक्षण करने के उद्देश्य सेलगभग 200 नेट जीरो एनर्जी बिल्डिंग  पूरा होने की कगार पर हैं । इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कोविड -19 के विनाशकारी प्रभावों के बावजूदविश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक कार्यक्रम और निर्माण कार्यों को रुकने नहीं दिया । यही वजह रही कि विश्वविद्यालय में सभी पाठ्यक्रमों को समय से पूरा किया जा सका और अब ये 30 से अधिक राष्ट्रीयताओं वाले विविध परिसरों में से एक बन गया है।  इस विश्वविद्यालय के विदेश मंत्रालय के अंतर्गत होने के कारण केंद्रीय मंत्री डॉ.सिंह की यात्रा काफी अहम हो जाती है । डॉ.सिंह खुद एक शिक्षाविद् हैं और प्रकृति के साथ सद्भाव‘ तथा अभिनव दृष्टिकोण के बड़े समर्थक भी हैं । उनकी ये यात्रा ना सिर्फ विविध राष्ट्रीयता वाले छात्रों में नई ऊर्जा का संचार करेगी बल्कि टीम नालंदा को प्रगति का मूल्यांकन करने और भविष्य के लिए कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करने का अवसर भी प्रदान करेगी । डॉ.सिंह की ये यात्रा ज्ञान के प्राचीन केंद्र के प्रति भारत सरकार और विदेश मंत्रालय की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है.  

नालंदा विश्वविद्यालय  कार्बन न्यूट्रल और जीरो-वेस्ट कैंपस के मॉडल के तौर पर एक अनुकरणीय उदाहरण बन गया है। नालंदा विश्वविद्यालय  आसियान-इंडिया नेटवर्क ऑफ यूनिवर्सिटीज के माध्यम से आसियान देशों के शैक्षणिक संस्थानों से जुड़ने के लिए एक नोडल एजेंसी होने के नातेभारत की एक्ट ईस्ट‘ नीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । विश्वविद्यालय के नए अवतार में आने के बाद डॉ. राजकुमार रंजन सिंह की ये पहली मंत्रिस्तरीय यात्रा है।

27 Sep 2021: 30 से भी अधिक देश के विद्यार्थियों के साथ आयोजित हुआ नालंदा विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय 'रेजोनेंस फेस्ट'

नालंदा विश्वविद्यालय ने इस शनिवार को ‘रेजोनेंस’ नामक सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया। इस वर्ष विश्वविद्यालय में नामांकित ३० से अधिक देशों के छात्र इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का हिस्सा थे।

इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का विषय ‘द रेजोनेंस – व्हेयर द वर्ल्ड कम्स टुगेदर’ था। कार्यक्रम का आयोजन स्टूडेंट्स वेलफेयर विभाग के सहयोग से किया गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर और उपनिषद के श्लोक ‘असतो मा सद्गमय’ के पाठ के साथ किया गया, जिसका अर्थ है, ‘मुझे अंधकार से अज्ञान से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले चलो’। इसके बाद वियतनाम के छात्रों के एक समूह द्वारा बौद्ध मंत्रोच्चार किया गया। छात्र समूह ने वियतनामी परंपरा में एक संस्कृत बौद्ध मंत्र ‘नीलकंठ धारणी’ का पाठ किया। पारम्परिक वाद्य यंत्रों सहित इस मंत्रोच्चारण के बाद संस्कृतिक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला थी जिसमें इंडोनेशिया के छात्रों के एक समूह के इंडोनेशियाई गीत, युगांडा और जमैका के छात्रों के लोक नृत्य, ईरान के एक छात्र द्वारा फारसी कविता का पाठ शामिल था। भारतीय छात्रों के कार्यक्रमों में उर्दू कविता पाठ और उप-शास्त्रीय संगीत और बॉलीवुड गीतों पर प्रदर्शन भी शामिल थे।

यह कार्यक्रम विश्वविद्यालय के मिनी सभागार में आयोजित किया गया। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के इन प्रदर्शनों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। अपने-अपने देशों के गीत और नृत्य की इन प्रस्तुतियों के माध्यम से छात्रों ने अपनी देश की सांस्कृतिक विरासत की विशिष्टता को प्रस्तुत करने का प्रयास किया। कार्यक्रम में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी परिलक्षित हुआ जब एक भूटानी छात्र ने एक हिंदी गीत की सुंदर प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस आयोजन के दौरान ईरान के एक छात्र ने मौलाना जलालुद्दीन रूमी के रहस्यमय छंदों का पाठ किया और अपने और ईरान के पड़ोसी देशों में राजनीतिक उथल-पुथल

की समस्याओं के बारे में बात की। उन्होंने अपने देश की प्राचीन संस्कृति पर भारतीय सूफी परंपरा के प्रभाव पर प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के कुछ संकाय सदस्यों ने भी कार्यक्रम के दौरान अपने प्रदर्शन से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण 30 से अधिक देशों के छात्रों और संस्कृतियों को एक मंच पर शामिल करना था।

कार्यक्रम का समापन नालंदा अन्तर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के भाषण के साथ हुआ। उन्होंने बताया कि कैसे इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम छात्रों के चरित्र निर्माण और उनके सर्वागीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने अपने संबोधन में छात्रों के विद्वत्ता और चरित्र निर्माण के विकास में शिक्षकों की भूमिका और जिम्मेदारी की ओर भी ध्यान आकर्षित किया। प्रो. सिंह ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के इस अद्भुत सांस्कृतिक समायोजन के लिए छात्रों और इससे जुड़े सभी लोगों को धन्यवाद दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय के उन खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया जो हाल ही में विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित खेल प्रतियोगिताओं में विजेता रहे हैं। कार्यक्रम का समापन एक समूह गीत के साथ हुआ जिसमें पृथ्वी की प्राकृतिक संपदा को बचाने का संदेश था।

कोविड-19 लॉकडाउन के प्रतिबंध हटने के बाद विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाला यह पहला सांस्कृतिक कार्यक्रम था। कार्यक्रम में नालंदा विश्वविद्यालय समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 से संबंधित दिशा-निर्देशों का पूरा ध्यान रखा गया.

24 Sep 2021: 'बुद्ध से नागार्जुन तक': लेक्चर सीरिज को पुनर्जीवित करने में जुटा नालंदा विश्वविद्यालय

नालंदा विश्वविद्यालय के विशिष्ट लेक्चर सीरिज कार्यक्रम के तहत आई आई टीभुवनेश्वर के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ. गोदाबरिशा मिश्रा ने भारतीय दर्शन और समकालीन समय के साथ इसके संबंधों के विषय पर दो दिवसीय व्याख्यान दिया । ये व्याख्यान 22 और 23 सितंबर को विश्वविद्यालय के मिनी ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया था ।

इस लेक्चर सीरिज कार्यक्रम के तहत उत्कृष्ट शिक्षाविदों और वैज्ञानिकों को नालंदा विश्वविद्यालय के छात्रों और शोधार्थियों से अपने विचार और दृष्टिकोण को  साझा करने के लिए आमंत्रित किया जाता है । इस लेक्चर सीरिज के तहत नालंदा के छात्रों को भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों में हो रहे अध्ययन और अनुसंधान के विविध क्षेत्रों से अवगत कराया जा रहा है । 

इस महीने लेक्चर सीरिज के लिए शिक्षाविद् प्रोफेसर गोदाबरीश मिश्रा को आमंत्रित किया गया थाजो हिंदू और बौद्ध दर्शन के प्रख्यात विद्वान हैं । वो मद्रास विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व प्रमुख रह चुके हैं । उन्होंने इंडियन काउंसिल ऑफ फिलॉसॉफिकल रिसर्च (ICPR), दिल्ली के पूर्व सदस्य-सचिव और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटीयूके में विजिटिंग फेलो के तौर पर भी काम किया है। 

इस लेक्चर सीरिज में प्रो. मिश्रा ने भारतीय शास्त्रों की प्रणालियों के विभिन्न पहलुओं और आधुनिक दिनों में उनकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला । उन्होंने भारतीय बौद्धिक प्रणाली के पौराणिक चिंतन के तरीकों और इसके लिए पश्चिमी दृष्टिकोण पर भी जोर दिया । लेक्चर सीरिज के पहले दिन प्रो. मिश्रा ने बताया कि संस्कृत शब्द ‘दर्शन’ और उसके समकक्ष अंग्रेजी शब्द ‘फिलॉसफी’ में अंतर है । उनके लेक्चर के दौरान आध्यात्मिक प्रश्नों पर भारतीय दृष्टिकोण की विशिष्टता पर विचार-विमर्श किया गया और इस पर गहन चर्चा की गई कि आजादी से पहले के भारत के दर्शन को पश्चिमी दर्शन के समान क्यों नहीं माना जाता है । 

लेक्चर सीरिज के दूसरे दिन ‘भारतीय दर्शन की ऐतिहासिक प्रगति – गौतम बुद्ध से नागार्जुन तक’ विषय पर विस्तार से चर्चा की गई । इस चर्चा के दौरान प्रो. मिश्रा ने बताया कि कैसे गौतम बुद्ध ने सनातन वैदिक परंपरा में दार्शनिक तर्कसंगतता की भावना का संचार किया और कैसे धम्म की इस परंपरा को नागार्जुन जैसे बौद्ध दार्शनिकों द्वारा आगे बढ़ाया गयाजो बाद में नालंदा की शैक्षिक विद्वत परंपरा के रूप में विकसित हुई । 

दो दिवसीय इस लेक्चर सीरिज में विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया । कुलपति प्रो. सुनैना सिंह के दूरदर्शी नेतृत्व में नालंदा विश्वविद्यालय कई कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है जिसमें भारत की अमूर्त और मूर्त विरासत के संरक्षण के लिए हेरिटेज वॉकम्यूजियम विजिट और विद्वानों के संवाद सत्र शामिल हैं । नालंदा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीजस्कूल ऑफ बुद्धिस्ट स्टडीजस्कूल ऑफ इकोलॉजी एंड एन्वायरनमेंट स्टडीज और स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज इस प्रयास में सक्रिय रूप से जुटे हुए हैं ।

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